जयपुर: राजस्थान की कांग्रेस सरकार वोट बैंक को साधने के लिए विधानसभा चुनाव से पहले जाति आधारित गणना कराने और आरक्षण कोटा 64 से बढ़ाकर 72 फीसदी करने की तैयारी कर रही है. अशोक गहलोत मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य और अधिकारी मुख्य रूप से राज्य की राजनीति को प्रभावित करने वाले जाट वोट बैंक को साधने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने के लिए काम कर रहे हैं। ओबीसी का आरक्षण बढ़ाए जाने के बाद अन्य वर्गों की नाराजगी की आशंका को देखते हुए कानूनी राय भी ली जा रही है.
ओबीसी वोट बैंक का अहम योगदान
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में ओबीसी वर्ग में 91 जातियां हैं. प्रदेश स्तर पर आरक्षण बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा दबाव कांग्रेस नेताओं द्वारा बनाया जा रहा है। वर्तमान में ओबीसी वर्ग से 60 विधायक और 11 सांसद हैं। दो सौ में से करीब 125 विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी वोट बैंक चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है. ऐसे में हर वर्ग को खुश करने की कोशिश में जुटी गहलोत सरकार ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर विचार कर रही है. अगर आरक्षण बढ़ता है तो छत्तीसगढ़ के बाद राजस्थान देश का दूसरा सबसे बड़ा आरक्षण वाला राज्य बन जाएगा. फिलहाल छत्तीसगढ़ में 82 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है.
कांग्रेस नेता आगे
आरक्षण बढ़ाने और जाति आधारित गणना का राजनीतिक लाभ लेने की रणनीति के तहत कांग्रेस नेताओं को आगे किया गया है. पंजाब कांग्रेस के प्रभारी और विधायक हरीश चौधरी ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने ओबीसी आयोग के अध्यक्ष को ज्ञापन दिया है.कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बातचीत में कहा कि जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसे उतना आरक्षण मिलना चाहिए. इसको लेकर सीएम ने पीएम को पत्र लिखा है. कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने "दैनिक जागरण" से कहा कि ओबीसी आरक्षण बढ़ाया जाना चाहिए।
कोर्ट जाति आधारित गणना पर रोक लगाएगा
इस संबंध में सीएम अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उम्मीद है कि सीएम जल्द ही कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं से इस पर चर्चा करेंगे. कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि जनगणना केंद्र सरकार कराती है. अगर राज्य सरकार जाति आधारित गणना कराती है तो कोर्ट से रोक लग सकती है.बिहार में फैसला सुरक्षित बिहार में 7 जनवरी 2023 को जाति आधारित गिनती शुरू हुई. 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इसके बाद स्टे के लिए पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई.4 मई 2023 को पटना हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में जाति आधारित गिनती पर रोक लगा दी थी. राज्य सरकार को अगली सुनवाई तक डेटा सुरक्षित रखने का आदेश दिया गया. इस पर 3 से 7 जुलाई 2023 तक पटना हाईकोर्ट में लगातार सुनवाई हुई. फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया गया है.