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जयपुर : राजस्थान में विधानसभा चुनाव करीब आठ महीने बाद होने हैं। पिछले तीन दशक से प्रदेश का राजनीतिक रिवाज रहा है कि जो पार्टी एक बार सत्ता में रहती है वह विधानसभा चुनाव के बाद वापस लौटकर नहीं आती है, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार प्रदेश का रिवाज बदलकर फिर से कांग्रेस की सरकार बनाना चाहते हैं।
सत्ता विरोधी लहर थामने की कोशिश में जुटे गहलोत मतदाताओं को लुभाने में गहलोत कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। एक दिन पहले 19 जिले और तीन संभाग बनाकर गहलोत ने मतदाताओं को खुश करने की कोशिश की है। शिक्षा मंत्री बी.डी कल्ला का कहना है कि नये जिले और संभाग बनाने से पार्टी को चुनाव में निश्चित तौर पर लाभ होगा।
गहलोत ने आठ ऐसे विधानसभा क्षेत्र के मुख्यालय जिले बनाए हैं, जहां कांग्रेस की स्थिति पिछले कई विधानसभा चुनाव में कमजोर रही है या तो कांग्रेस का उम्मीदवार जीता ही नहीं और अगर जीता भी है तो वह भी एक बार बहुत कम वोटों से जीता है। इनमें ब्यावर, नीम का थाना, पाली, कोटपुतली-बहरोड़, दूदू, सलूंबर, फलौदी एवं डीडवाना शामिल हैं। कांग्रेसियों का मानना है कि इन क्षेत्रों में कांग्रेस काफी कमजोर थी। बांसवाड़ा को संभागीय मुख्यालय बनाकर आदिवासियों को साधने की कोशिश की गई है।
आदिवासी बहुल जिलों में 25 विधानसभा सीटें है। साथ ही सीकर को संभागीय मुख्यालय बनाकर जाट मतदाताओं को साधने की कोशिश की गई है। सीकर में जाट मतदाओं की संख्या ज्यादा है। शनिवार को कांग्रेस जयपुर स्थित कांग्रेस और भाजपा मुख्यालयों में गहलोत की घोषणाओं का विश्लेषण होता रहा। वहीं नये बने जिलों में कांग्रेसियों ने जश्न मनाया।
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Teja
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