राजस्थान

लम्बे समय बाद एक मंच पर दिखे गहलोत और पायलट

Shreya
14 July 2023 12:48 PM GMT
लम्बे समय बाद एक मंच पर दिखे गहलोत और पायलट
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राजस्थान: राजस्थान में गहलोत VS पायलट के द्वंद्व के बीच दिल्ली में हुई मीटिंग के बाद नजारे अब बदले-बदले से नजार आने लगे हैं. न केवल बयानों में ‘हम साथ-साथ हैं’ दिख रहा है बल्कि अब मंच पर भी ये दृश्य नजर आने लगा है. गुरुवार को जयपुर में ब्लॉक अध्यक्षों की मीटिंग में करीब डेढ़ साल बाद सचिन पायलट (Sachin Pilot), सुखजिंदर सिंह रंधावा गोविंद सिंह डोटासरा एक मंच पर थे. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े थे. न केवल वीसी से जुड़े थे बल्कि पायलट को ध्यान से सुन भी रहे थे.

यानी दिल्ली में हुई मीटिंग के बाद अब राजस्थान कांग्रेस में सबकुछ ठीक है ऐसा कहा जा सकता है. दिल्ली में हाईकमान के साथ मीटिंग के बाद पायलट ने ये भी कहा था कि हम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि उनके तीन बातों पर पार्टी और सरकार में सहमति बन गई है. पार्टी ने विश्वास जताया कि संगठन और सत्ता मिलकर काम करेंगे तो हम 25 साल पुरानी परिपार्टी तोड़ सकेंगे. यहां पायलट पेपर लीक, आरपीएससी मेंबर्स के चयन के मापदंड तय करने और वसुंधरा राजे के सरकार में करप्शन के मुद्दे की बात कह रहे थे. प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा बोले- इमानदारी के साथ काम करना है. किसी भी गुटबाजी में पड़ने का चक्कर नहीं है. हमने राहुल गांधी जी और खड़गे साहब को ये विश्वास दिला दिया है हमारा कोई गुट नहीं है. केवल राहुल गांधी और खड़गे साहब का कांग्रेस का गुट है.

हम आना-कानी करते रहेंगे, ये राजनीति में चलता है- पायलट

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वीसी से जुड़ने और बोलने के बाद मंच पर सचिन पायलट को बुलाया गया. मंच पर बोलते हुए पायलट ने कहा- डोटसरा जी का ये पहल स्वागतयोग्य है. ये मीटिंग बहुत महत्वपूर्ण है. जीतने की दिशा में काम करना है तो तेरा-मेरा छोड़ना पड़ेगा. डंडा झंडा लेकर आपको जाना है. 31 जुलाई को वाटर लिस्ट का काम खत्म हो रहा है. जो छूट गया है उसका नाम जुड़वाने और फर्जी मतदाताओं का नाम निकलवाना जैसे कामों को आपको करना पड़ेगा. हमारी पार्टी में चुनाव हुआ. ऐसी कौन सी पार्टी है जहां ऐसा अध्यक्ष बना. खड़गे जी भारी बहुमत से चुनाव जीते और एक दलित समुदाय का व्यक्ति कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना. पायलट ने आगे कहा- हम यहां थोड़ा बहुत आना-कानी करते रहेंगे, ये सब चलता है राजनीति में. पर मुद्दे और सिद्धांत पहले भी उठाते रहे हैं.

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