गहलोत सरकार ने प्रदेश के लोगों के लिए सभी सरकारी हॉस्पिटल में ओपीडी और आईपीडी मरीजों के तमाम इलाज फ्री करने की घोषणा की है। इसमें जांचों पर लगने वाला शुल्क भी शामिल है। वर्तमान में आउटडोर (ओपीडी) में आने वाले मरीजों को जिला या मेडिकल कॉलेज से संबंधित हॉस्पिटल में ब्लड से संबंधी कई जांचों के लिए फीस देनी होती है। इसके अलावा गेस्ट्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, ऑप्टोमोलॉजी, हार्ट, कैंसर से जुड़ी कई बीमारियों के लिए 100 रुपए से लेकर 8 हजार रुपए तक का शुल्क देना पड़ता है। वहीं इलाज के लिए भर्ती मरीज से आईसीयू बेड चार्ज, एडमिशन फीस समेत अन्य कई शुल्क लिए जाते है। नए फाइनेंशियल ईयर में ये सभी टेस्ट फ्री होंगे। सरकार ने अभी 60 साल या उससे ज्यादा एज ग्रुप (सीनियर सिटीजन) के मरीजों के लिए सरकारी हॉस्पिटल में तमाम सुविधाएं फ्री कर रखी है। अगर मुख्यमंत्री की ये घोषणा अमल में आती है तो इस दायरे में हर एज ग्रुप के लोग आ जाएंगे।
•वर्तमान में ब्लड की जांच थायराइड, शुगर की एचबीए1सी, विटामिन बी-12 समेत 20 से ज्यादा ऐसी जांच है जिनके लिए एसएमएस में 60 साल से कम एज ग्रुप के लोगों को 100 से 1500 रुपए तक की फीस देनी पड़ती है। इसके अलावा रेडियोलॉजी और कैथलैब में एंजीयोग्राफी, 2डी ईको, सोनोग्राफी, आंखों की एफएफए, ओसीटी, ग्रीन लेजर समेत तमाम कई जांचों पर मरीजों से शुल्क लिया जाता है। इन सभी शुल्क को सरकार आने वाले समय में फ्री कर सकती है।
•सिटी स्कैन, एमआरआई की जांच के लिए मरीज से 500 से लेकर 8 हजार या उससे ज्यादा की फीस ली जाती है। हालांकि ये जांचे अभी कॉन्ट्रैक्ट बेस पर मशीनें लगाकर करवाई जा रही है। इनको भी फ्री करने की कवायद चल रही है।
•ओपीडी में दिखने के लिए मरीज को पर्ची बनवाने के लिए 10 रुपए और एडमिट होने पर 50 रुपए फीस ली जाती है, जो आने वाले समय में फ्री हो सकती है। इसके अलावा आईपीडी मरीज जो आईसीयू बेड पर होता है उससे 250 रुपए प्रतिदिन का शुल्क लिया जाता है।