राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन पर लगा चार करोड़ का जुर्माना, जानिए पूरा मामला
जयपुर: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जोजरी, लूणी और बांडी नदीं में अवैध रूप से इंडस्ट्रीज का प्रदूषित पानी डिस्चार्ज करने पर राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (रीको) जोधपुर और बाड़मेर पर दो-दो करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने यह फैसला ग्राम पंचायत अराबा की ओर से दायर याचिका पर सुनाया है। एनजीटी की न्यायाधीश आदर्श गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने राजस्थान राज्य प्रदूषण निवारण मंडल को निर्देश दिया है कि वह इस बात कि मॉनिटरिंग करे कि किसी भी तरह के ट्रीटमेंट प्लांट से पानी ट्रीट हुए बगैर नदीं में नहीं छोड़ा जाए। आदेश में कहा गया कि यदि कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, एफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट और कॉमन एफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट से यदि पूरी तरह से ट्रीट किए बगैर पानी को डिस्चार्ज किया जाता है तो उसे सीज कर दिया जाए। ग्राम पंचायत अराबा की ओर से एनजीटी को बताया गया कि इन नदियों में रोजाना 300 मिलियन लीटर रसायन युक्त पानी छोड़ा जाता है। जोधपुर क्षेत्रीय इंडस्ट्रियल हब है। यहां पर बड़ी संख्या में टेक्सटाइल के डाई और प्रिंटिंग का कार्य होता है। साथ ही बड़ी संख्या में स्टील री रोलिंग मिल्स भी है। इनसे केमिकल युक्त पानी निकलता है। इस पानी को ट्रीट करने की एकदम सही सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इसे जोजरी नदी में बहा दिया जाता है।
नियमों की अवहेलना पर भारी जुर्माना लगाने के निर्देश: एनजीटी ने अपने आदेश में जोधपुर और बाड़मेर के जिला कलेक्टर को आदेश दिया कि वे एक सर्वे करवा कर रिपोर्ट तैयार करे कि कौनसी इंडस्ट्री से कितना केमिकल युक्त पानी छोड़ा जा रहा है। इसके लिए पॉल्यूशन बोर्ड व सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की एक टीम इस पर लगातार निगाह रखे। नियमों की अवहेलना करने वाली इंडस्ट्री पर भारी जुर्माना लगाया जाए। इसके बावजूद भी यदि नियमों की पालना नहीं की जाती है तो उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए।
नियम नहीं मानने वालों के फैक्ट्री बंद करने के निर्देश: याचिका दायर करने वाले जयदीप सिंह ने बताया कि अधिकारियों को सब पता है कि कौन कितना पॉल्यूशन फैला रहा है। अब जब एनजीटी ने अपने आदेश में साफ कह दिया है कि पॉल्यूशन फैलाने वाली इंडस्ट्री पर भारी जुर्माना लगाया जाए और फिर भी नहीं माने तो बंद कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि आदेश में साफ कहा गया है कि वसूले जाने वाली जुर्माना राशि को इस पानी से हुए खराबे वाले क्षेत्र में खर्च किया जाए। जिससे कुछ हद तक लोगों को हुए नुकसान की भरपाई हो सके। साथ ही पर्यावरण में भी सुधार हो सके। अब अगले छह माह तक इस फैसले पर लिए जाने वाले एक्शन के बारे में रिपोर्ट एनजीटी में पेश करनी होगी।
जहरीले पानी से खेत हुए बंजर: जोधपुर की इंडस्ट्रीज से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी को जोजरी नदी में छोड़ा जाता है। यह पानी अराबा के समीप पहुंच खेतों में फैल जाता है। इस कारण से लोगों के खेतों की जमीन पूरी तरह से बंजर हो चुकी है। वहीं भूजल भी प्रदूषित हो चुका है। बाड़मेर जिले के बालोतरा और पाली शहर में रंगाई-छपाई की इकाइयों से निकलने वाला प्रदूषित पानी लूणी और बांडी नदी में छोड़ा जाता है।