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जयपुर । केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में वैदिक जल अनुसंधान केन्द्र के गठन पर विचार किया जाएगा। उन्होंने विश्वविद्यालय से इस संबध में विस्तृत प्रस्ताव भिजवाने को कहा।
शेखावत मंगलवार को विश्वविद्यालय में आधुनिक ज्ञानविज्ञान संकाय भवन के शिलान्यास समारोह को संबोधित कर रहे थे। शेखावत ने कहा कि सांसद रामचरण बोहरा जी ने कहा कि विश्वविद्यालय में वैदिक जल के अनुसंधान पर काम होना चाहिए। यहां वैदिक जल का अनुसंधान केन्द्र बने, इस पर विचार किया जा सकता है। इसके लिए विश्वविद्यालय को प्रस्ताव बनाकर देना होगा कि क्या करना है? कैसे करना है और किसलिए करना है? इस प्रस्ताव पर सकारात्मक रूप से विचार होगा। आज समय आ गया है कि हम हमारे ऋषि मुनियों ने जो ज्ञान हमें जीवन विज्ञान के रूप में दिया , उसे अप्लाइड सांइस के रूप में कैसे निखारें, इस पर काम करें।
उन्होंने कहा कि भारत की बढ़ती हुई प्रतिष्ठा विश्व में बढ़ रही है। भारत से निकले ज्ञान विज्ञान की पहचान बढ़ी है। इसके साथ ही संस्कृत भाषा की साख बढ़ी है। संस्कृत दुनिया की प्राचीनतम भाषा है। यह कई भाषाओं की जननी है। अब तो संस्कृत पर कई शोध हुए हैं। इसके आधार पर इस भाषा को मोस्ट मैथेमेटिकल भाषा माना गया है। इसी कारण इसे कप्यूटर के लिए अनुकूल भाषा की श्रेणी में रखा गया है।
शेखावत ने कहा कि आज संस्कृत ही नहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के कारण हिन्दी की पहचान भी पूरे विश्व में बढ़ी है, क्योंकि वे अपने विदेशी कार्यक्रमों में अधिकाधिक रूप से हिंदी में ही बात करते हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत की बौद्धिक और आर्थिक संपदा से प्रभावित होकर यहां आक्रांता आए। दो हजार साल तक भारत में विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण होते रहे। उन्होंने हमें अपनी जड़ों से काटकर खोखला कर दिया। आज यह हालत है कि हमने अपने ही ज्ञान विज्ञान पर विश्वास करना छोड़ दिया है। जो भी पश्चिम से आता है, वहीं श्रेष्ठ है। ऐसा मानकर काम करते है। यह गुलाम मानसिकता, इसे छोड़ना होगा। हमारी बौद्धिक संपदा किसी से कम नहीं है। हमें उस पर गर्व करना होगा। उसकी स्वीकार्यता बढ़ानी होगी।
उन्होंने कहा कि आज तक विश्व में दो ही संस्कृतियां रही हैं। एक पश्चिमी संस्कृति और दूसरी भारतीय संस्कृति। पश्चिम में जो कुछ नया है, वही श्रेयस है। यह कल्पना गलत है।
सदियों से त्रेता युग से द्वापर और आज कलिकाल तक हमारी संस्कृति का क्षरण होता रहा। अब इसे बचाना हमारे सामने बड़ी चुनौती है। गोसंपदा और प्राकृतिक संपदा को बचाना होगा।
शेखावत ने कहा कि आज देश बदलाव के दौर से गुजर रहा है। आयुर्वेद जैसी चिकित्सा पद्धति की ओर पूरा विश्व आशा भरी निगाहों से देख रहा है। कोरोना की माहमारी ने आयुर्वेद के लिए नए अवसर प्रदान किए हैं। अब हमें क्लीनिकल ट्रायल के माध्यम से आयुर्वेद की दवाओं का साइंटिफिक वेलिडेशन करना है। इससे पूरी दुनिया में इसकी स्वीकार्यता बढ़ जाएगी।
विवि में लगेगी पूर्व उपराष्ट्रपति की प्रतिमा
केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने विश्वविद्यालय परिसर में पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की प्रतिमा लगाने की मंशा भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह कार्य शीघ्र ही किया जाएगा। इसके लिए मूर्तिकार से बात की जा रही है।
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Harrison
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