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जयपुर। शहर में पतंगबाजी के शौकिन लोगों ने अभी से पतंग उड़ाना शुरू कर दिया है। लोगों के शौक के बीच बेजुबान परिंदों के लिए पतंगों की धारदार डोर जानलेवा साबित हो जाती है। वन विभाग एवं विभिन्न एनजीओज से मिली जानकारी के अनुसार रोजाना 5 से 10 पक्षी मांझे से कटकर घायल हो रहे हैं। वन विभाग के अशोक विहार स्थित आपातकालीन पक्षी उपचार केन्द्र एवं एनजीओज के विभिन्न शेल्टरों पर उनको उपचार दिया जा रहा है। मांझे से घायल पक्षियों के उपचार के लिए खासकर 12 से 16 जनवरी तक शहर के विभिन्न जगहों पर बर्ड ट्रीटमेंट कैम्प लगाए जाएंगे। क्योंकि इस बार वीकेंड होने पर मकर संक्रांति पर पतंगबाजी ज्यादा हो सकती है। ऐसे में घायल होने वाले पक्षियों को बेहतर उपचार मिले, इसके लिए विदेशों से भी डॉक्टर्स की टीम जयपुर आएगी। जो नवीनतम तकनीकों से पक्षियों को बेहतर उपचार करेगी।
जानकारी के अनुसार पतंग के मांझे से घायल होने वाले पक्षियों में सबसे ज्याादा संख्या कबूतरों की होती है। रक्षा संस्थान के रोहित गंगवाल का कहना है कि इस बार मालवीय नगर के अतिरिक्त वैशाली नगर और अल्बर्ट हॉल संग्रहालय के पीछे पक्षी उपचार कैम्प लगाए जाएंगे। इसके लिए तकरीबन 34 डॉक्टर्स की टीम तैनात रहेगी। इसमें करीब 8 विदेशी डॉक्टर्स की संख्या शामिल है। पिछले साल मांझे से घायल करीब 800 विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों को रेस्क्यू किया गया था। इनमें 95 प्रतिशत संख्या कबूतरों की थी। वहीं दूसरी ओर होप एण्ड बियोन्ड के जॉय गार्डनर का कहना है कि इस बार वैशाली नगर के अतिरिक्त चौड़ा रास्ता में बर्ड ट्रीटमेंट कैम्प लगाया जाएगा। इस बार असम से भी डॉक्टर्स की टीम घायल पक्षियों के इलाज के लिए जयपुर आएगी। हम अभी से स्कूल और कॉलेजों में बच्चों को पतंगबाजी ना करने के लिए जागरूक कर रहे हैं। गार्डनर ने बताया कि इस बार मोबाइल एप के उपयोग से घायल पक्षियों को रेस्क्यू करने भेजा जाएगा। जहां से रेस्क्यू की कॉल आएगी, एप के जरिए वहां के करीब वॉलंटियर की लोकेशन देखी जाएगी। ताकि घायल पक्षी तक तुरंत पहुंचा जा सके।
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