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हनुमानगढ़। हरियाणा के ओटू हेड से लगातार पानी की मात्रा बढ़ाए जाने से घग्घर नदी में पानी का बहाव तेज हो रहा है। इससे बाढ़ के खतरे को लेकर प्रशासन के हाथ-पांव फूल रहे हैं। हालांकि नदी के बहाव क्षेत्र और बांधों पर अिधकारी लगातार नजर रखे हुए हैं और बाढ़ के खतरे को टालने के तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। मंगलवार को नाली बेड में छोड़े जा रहे पानी की मात्रा में भी दो सौ क्यूसेक बढ़ोतरी हुई। इसमें 5000 क्यूसेक पानी चल रहा था। पानी बढ़ने का क्रम जारी रहने पर जिला प्रशासन व जल संसाधन विभाग के अधिकारी हाई अलर्ट मोड पर रहे। सरकारी तंत्र निरंतर निगरानी में जुटा हुआ है। कहीं कोई कमजोर बांध है तो उसे मजबूत किया जा रहा है। इंटेक्स स्ट्रक्चर से घग्घर नदी का पानी इंदिरा गांधी फीडर में डालने से काफी राहत मिल रही है। घग्घर बहाव क्षेत्र के आसपास के गांवों के नागरिक भी जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन व जल संसाधन विभाग के अधिकारियों- कर्मचारियों के साथ नदी के तटबंधों की निगरानी में जुटे हुए हैं। जिला प्रशासन व जल संसाधन विभाग की ओर से जिले में घग्घर नदी में संभावित बाढ़ के खतरे को टालने का प्रयास किया जा रहा है। नदी तट के आस-पास मिट्टी के थैले रखवाए गए हैं। अभी भी क्षेत्र के लोगों के लिए अगले दो-तीन दिन चुनौती भरे हैं। जल संसाधन विभाग उत्तर संभाग हनुमानगढ़ के मुख्य अभियंता अमरजीत मेहरड़ा सहित जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को भी घग्घर साइफन सहित विभिन्न हेड आदि का निरीक्षण कर व्यवस्थाएं देखी। मंगलवार को गुल्लाचिक्का हैड पर पानी की मात्रा में कुछ कमी आई, लेकिन ओटू से राजस्थान के लिए पानी की मात्रा लगातार बढ़ाई जा रही है। ओटू हैड पर 31,275 क्यूसेक, घग्घर साइफन में 15,601 क्यूसेक, आरडी 629 से आईजीएनपी में 2,330 क्यूसेक सहित राजस्थान में 17,931 क्यूसेक पानी प्रवाहित हो रहा है। वहीं फिलहाल घग्घर नाली बैड आरडी 24 में 5000 क्यूसेक, जीडीसी आरडी 42 में 10601 क्यूसेक पानी प्रवाहित हो रहा है।
जिले में कुल 55 राहत केंद्रों को चिह्नित किया गया है। इसमें अति संवेदनशील क्षेत्र के लिए 33 राहत केंद्रों में व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से शुरू कर दिया गया है। यहां लोगों की सुविधा को देखते हुए व्यवस्थाएं की गई हैं। इसके अलावा टिब्बी-पन्नीवाली पीरकामडिया, शेरेका कमरानी गांव की विस्थापित करने योग्य 3800 आबादी के लिए 14 राहत केंद्र बनाए गए हैं। वहीं हनुमानगढ़ के अमरपुरा थेडी, मक्कासर, करनीसर, सहजीपुरा, बहलोलनगर, 7 एसएनम, 3 एसएनएम गांव की विस्थापित करने योग्य 3250 आबादी के लिए 12 राहत केंद्र बनाए गए हैं। पीलीबंगा के 23 एसटीजी. 26 एसटीजी, 29 एसटीजी चकगांव की विस्थापित करने योग्य 2700 आबादी के लिए 7 राहत केंद्र बनाए गए हैं। राहत केंद्रों में भोजन, आवास, पानी, साफ-सफाई और शौचालय आदि व्यवस्था के लिए प्रभारी लगाए गए हैं। चिकित्सा विभाग की टीमों द्वारा शिविरों में स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। हनुमानगढ़ जिले में वर्ष 1995 में आई बाढ़ आई थी। उसको देखते हुए एहतियात के तौर पर घग्घर में पानी को आईजीएनपी में डायवर्ट किया जा सके , इसके लिए टिब्बी के आरडी 629 में 20 वर्ष पहले 10 गेटों के डाइवर्जन चैनल को बनाया गया था। जिला कलेक्टर रुक्मणि रियार कि दूरदर्शिता के परिणाम स्वरूप अब पहली बार आईजीएनपी में पानी के लिए डाइवर्जन चैनल के गेट खोल दिए गए हैं। फिलहाल आईजीएनपी में 2330 क्यूसेक पानी डायवर्टहो रहा है, जिसकी क्षमता 10 हजार क्यूसेक तक पानी डायवर्ट करने की है। इससे नाली बैड और जीडीसी पर पानी का दबाव कम हो रहा है। इसके अलावा नाली बैड कि परखी हुई क्षमता 5500 क्यूसेक है।
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Shantanu Roy
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