राजस्थान

महिला कर्मचारी ने किया आत्महत्या का प्रयास

Admin4
2 Aug 2023 11:03 AM GMT
महिला कर्मचारी ने किया आत्महत्या का प्रयास
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श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर अनूपगढ़ के राजकीय पशु चिकित्सालय के डॉ. नरेंद्र नागपाल पर हॉस्पिटल की एक महिला कर्मचारी पर गाली-गलौज करने और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं। परेशान महिला ने मंगलवार को सुसाइड का प्रयास किया। जिसे कर्मचारियों ने बचाया। इस संबंध में उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। तीन दिन में डॉ. नरेन्द्र कुमार नागपाल पर कार्रवाई का अल्टीमेटम दिया गया। उन्होंने कहा कि कार्रवाई नहीं होने पर अनूपगढ़ व श्रीगंगानगर के समस्त स्टॉफ (एलएसए/ वीए ) कार्य का बहिष्कार करेगें। कार्मिकों ने आरोप लगाया कि डॉ. नागपाल द्वारा कार्यालय का रिकॉर्ड छुपा लिया जाता है। निशा पर रिकॉर्ड को ढूंढने के लिए अनावश्यक दबाब बनाकर उच्च अधिकारियों से सस्पेंड कराने की भी धमकी दी जाती है। मंगलवार सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर एसवीओ डॉ. नरेन्द्र कुमार नागपाल की तरफ से निशा कुमारी के साथ अभद्र व्यवहार किया गया। उपस्थिति रजिस्टर को छुपा दिया गया। एलएसए द्वारा रजिस्टर मांगने पर डॉ. नरेन्द्र कुमार नागपाल ने धमकियां दी एवं अभद्र भाषा का प्रयोग कर गाली गलौज किया। जिसके बाद एलएसए द्वारा सुसाइड करने का प्रयास किया गया। मौके पर सूचना पाकर एलएसए निशा के पति एवं कुछ लोगों ने उसे बचाया।
इससे पहले भी डॉ. नागपाल द्वारा इनको मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित किया गया कि 4 माह का गर्भपात हो गया। एलएसए की तरफ से उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया गया परन्तु उच्च अधिकारियों द्वारा कोई संतुष्टिजनक कार्रवाई नहीं की गई। डॉ. नरेन्द्र कुमार नागपाल ने निशा कुमारी को पशुपालकों के सामने कुर्सी छुड़ाकर बेईज्जत व अपमानित किया जाता है। नागपाल के द्वारा वॉईस रिकोर्डिंग व विडियो रिर्कोडिंग चोरी छिपे बनाई जाती है। ताकि समस्त स्टॉफ पर अनुचित दबाब बनाया जा सके। निशा कुमारी को अस्पताल छोड़ने आए इनके पति के साथ भी सही व्यवहार नहीं किया जाता।
डॉ. नागपाल ने बताया कि एलएसए निशा चिकित्सालय में देरी से आती है, समय की पालना के लिए कहा जाता है। मंगलवार को भी जब निशा देरी से आई तो उसे समय से आने के लिए कहा गया। उसे छोड़ने आए उसके पति भड़क गए। जिसके बाद वह अस्पताल से चले गए। अस्पताल में आत्म हत्या का प्रयास करने जैसा कुछ नहीं हुआ। वहीं सरकार की तरफ से आने वाली वैक्सीन को पशु पालकों तक निशुल्क पहुंचाकर पशुओं को लगाने के लिए कार्मिकों को बार बार निर्देशित किया जाता है, रिपोर्ट ली जाती है, जो कार्मिकों को पसंद नहीं है।
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