जयपुर: क्षेत्र में उपजाऊ जमीन होने के बावजूद भी पानी की कमी के कारण खेती घाटे का सौदा साबित हो रही थी। किसान की खेती पूर्ण रूप से बरसात पर निर्भर थी क्योंकि क्षेत्र में कुओं में खारा व फ्लोराइड युक्त पानी होने की वजह से खेती को बंजर होने की आशा रहती थी।
क्षेत्र का किसान बरसात पर पूर्ण रूप से निर्भर रहकर पशुपालन व खेती दोनों से अपना घर का खर्चा चलाना पड़ रहा था, लेकिन गत 10 सालों में कृषि विभाग द्वारा अनुदान पर मंरवा, मंमाणा,जडावता, साली व सीतारामपुरा व हबसपुरा ग्राम पंचायत के गांवों में 400 से अधिक किसानों ने अपने खेतों में फार्म पोंड का निर्माण कर बरसात के पानी का संरक्षण कर समुचित उपयोग किया तथा खेती में अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जिससे उनकी आर्थिक व पारिवारिक स्थिति में सुधार हुआ है।
फार्म के पानी से अब किसान परंपरागत खेती के साथ उन्नत खेती सब्जी उत्पादन, बागवानी, मूंगफली जैसी फसलों का उत्पादन ले रहे हैं एवं क्षेत्र में रबी मौसम की फसलें सरसों, गेहूं, चना व हरा चारा का रकबा बढा है। क्षेत्र के कुछ किसान मछली उत्पादन में भी रूचि ले रहे हैं। अब फार्म पोंड वाले किसानों को मत्स्य विभाग द्वारा निशुल्क मछली का बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। क्षेत्र के किसान अब अपने फार्म पोंड पर सोलर संयंत्र पंपसेट लगाकर ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर मल्चीग से हाईटेक वह पॉली हाऊस खेती की ओर रुख कर रहे हैं।
मंमाणा के किसान मंगल सोढ का कहना है कि फार्म पोंड बनाने के बाद खेती करने में रात व दिन का अंतर आ गया। फार्म पोंड के पास में कुआं था उसका पानी मीठा हो गया। पहले बरसात न होने की स्थिति में खेत खाली पड़े रहते थे अब बिल्कुल भी खेत खाली नहीं रहते। फार्म पोंड से पैदावार में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है।