बॉर्डर पर डटे जवानों के परिवारों को नहीं मिल रही चिकित्सा सुविधा
पेच की बावड़ी: पेज की बावड़ी क्षेत्र ग्राम पंचायत उमर की आबादी 4 हजार है। औसतन हर घर में सैनिक है। यही नहीं इस गांव के रणबांकुरों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। वर्तमान में भी इस गांव के युवा सीमाओं पर देश की रक्षा कर रहे है। लेकिन फौजी के परिवारों और गांव के लोगों को चिकित्सा सुविधा तक नहीं है। ऐसे में देश की सीमाओं पर डटे जवानों को अपने परिवार की चिंता सताती रही है। उमर गांव के लोगों को चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिलने से ग्रामीणों को 20 किमी दूर देवली या हिंडोली जाने को मजबूर है। कई बार तो दुर्घटना में घायल व्यक्ति को समय पर इलाज नहीं मिलने पर जान से हाथ धोना पड़ता है। ऐसे में ग्रामीणों ने उमर ग्राम पंचायत में पीएचसी स्थापित करने की मांग की है। ग्राम पंचायत मुख्यालय हाईवे से लगभग 6 किलोमीटर दूर है। बीमारी, अचानक दुर्घटना होने पर मरीज के परिजनों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। स्थानीय गांव में अस्पताल नहीं होने से मरीज को परिजनों को 20 किमी दूर देवली या हिंडोली ले जाना पड़ता है। जो इमरजेंसी में व्यवस्था नहीं हो पाती है। समय पर प्राथमिक इलाज नहीं मिलने से कई बार ग्रामीणों को जान से हाथ धोना पड़ता है।
गांव में औसतन घर-घर में सैनिक
यह गांव सैनिकों का गांव है आजादी की लड़ाई में भी यहां के सैनिक शहीद हुए हैं। आज भी यहां से औसतन घर-घर से सैनिक है जो आज भी बॉर्डर पर देश रक्षा कर रहे हैं। उनको परिवार को लेकर चिंता सताए रहती है। परिवार की स्वास्थ्य को लेकर इसके साथ ही गांव के आसपास इंडस्ट्रीज एरिया है जिन्हें काफी संख्या में मजदूर रहते हैं। इतना ही नहीं यह राजनीति में भी पीछे नहीं रहा। इस गांव से दो विधायक रह चुके हैं। गांव वालों ने बताया कि यहां कम से कम एक ही प्रथम ग्रेड का डॉक्टर का होना चाहिए ताकि इस क्षेत्र के सभी निवासियों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके। गांव वासी इसकी मांग वर्षों से कर रहे हैं गांव वासियों ने इस समस्या से सभी उच्च लेवल के जनप्रतिनिधियों से राज्य सरकार जिला प्रशासन से बरसों से मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक समस्या ज्यों की त्यों है। केवल आश्वासन मिला है। समस्या का समाधान नहीं हो सका है। गांव वालों ने सभी उच्च स्तर के जनप्रतिनिधियों, राज्य सरकार जिला प्रशासन से मांग को इस समस्या से अवगत करा दिया लेकिन इस दिशा में अब तक कोई समस्या की सुनवाई नहीं हो पाई है।
क्या कहते हैं जागरूक ग्रामवासी
पूर्व सरपंच खेमराज मीणा का कहना है कि गांव में अस्पताल नहीं होने से बीमारी या दुर्घटना होने पर देवली या हिंडोली ले जाना पड़ता है ऐसी स्थिति में परेशानी होती है। गांव में अस्पताल नहीं होने से समय और धन की बर्बादी होती है। अस्पताल नहीं होने से समय पर इलाज नहीं हो पाता है और स्वास्थ्य की पूरी जानकारी नहीं मिल पाती है। इसलिए बाद में बड़ी बीमारी हो जाती है फिर गरीब आदमी इलाज नहीं करवा पाता है और उस परिवार को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। सेवानिवृत पटवारी विनोद का कहना है कि गांव में अस्पताल होना बहुत जरूरी है। बीमारी या दुर्घटना की स्थिति में प्राथमिक इलाज यही मिल जाने से मरीज की जान बच सके एवं ग्राम पंचायत मुख्यालय में अस्पताल होने से गांव वालों के अलावा आसपास के गांव वालों को भी स्वास्थ्य लाभ मिल सकेगा। उमर गांव के युवा नेता मानसिंह मीणा ने बताया कि उमरगांव बहुत पुराना गांव है। पंचायत मुख्यालय तथा सबसे पहले यहां स्कूल, डाकघर है लेकिन यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं है। ग्रामीणों इलाज के लिए हिंडोली या देवली ले जाना पड़ता है। गांव के डॉक्टर मनीष ने कहा कि उमर गांव में अस्पताल का होना बहुत ही जरूरी है। यह गांव देश की आजादी में भी सबसे आगे रहा। आज भी यहां के सैनिक देश की रक्षा कर रहा है। सैनिक बॉर्डर पर है लेकिन उनको पीछे अपने परिवार को लेकर काफी चिंता रहती है। राजस्थान पुलिस से सेवानिवृत शिवराज मीणा का कहना है कि जनहित एवं देश हित को ध्यान में रखते हुए यहां स्वास्थ्य सेवा का होना बहुत ही आवश्यक है। यहां पीएससी की बहुत जरूरत है। हिंडोली कांग्रेस मंडल अध्यक्ष चन्द्रप्रकाश मीना ने बताया कि उमर के पंचायत मुख्यालय पर 5 बेड का छोटा अस्पताल होना चाहिए जिससे की यहां की जनता का इलाज तुरन्त हो सके जिसमें 1 डाकटर 4 नर्सिंग स्टाफ ,एक दवा खाना ग्राम पंचायत उमर के मुख्यालय पर होना चाहिए।
कलक्टर को सैनिक और परिवारजनों ने बताई समस्याएं
जिलेभर के सैनिक और पेच की बावड़ी क्षेत्र से सैनिक और उनके परिवार वीरांगनाएं सोमवार को अपनी मांगों को लेकर जिला कलेक्टर के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री को ज्ञापन देने गए।
गांव वासियों की माग्ां है तो इस सम्बन्ध में उच्च लेवल के अधिकारियों को अवगत करवाया जायेगा। उमर गांव में सर्वे करवाया जायेगा। इसके बाद में सम्बन्धित विभाग की गाईड लाइन के अनुसार स्वीकृति मिल जाती है। तो पीएचसी बन जायेगी।
-डॉ ओ पी सामर सीएचएमओ, बूंदी