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अजमेर। राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की ओर से साल 2022 में हुए स्कूल लेक्चरर एग्जाम में फर्जी कैंडिडेट को परीक्षा दिलाने का मामला सामने आया है। आयोग के सचिव रामनिवास मेहता की ओर से 3 अक्टूबर को सिविल लाइंस थाने में कर्मचारी महेंद्र कुमार ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 2 कैंडिडेट्स को आरोपी बनाया गया है। इन कैंडिडेट्स ने एग्जाम भी पास कर लिया, लेकिन डॉक्युमेंट्स वेरिफिकेशन के बाद आयोग की जांच के दौरान पकड़े गए। 15 सितंबर को आयोग ने दोनों को नोटिस जारी किया था। 20 सितंबर तक पेश होने के निर्देश दिए गए थे। जब इनसे अपने गांव के संबंधित थाने का नाम पूछा गया तो ये जवाब नहीं दे पाए। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गुरुवार की शाम करीब छह बजे गिरफ्तार कर लिया है। इनसे पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने नकल विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।
जांच अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर एवं मुख्यालय) अजमेर महमूद खान ने बताया कि सांचौर निवासी दिनेश कुमार पुत्र सोनाराम के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। इसी प्रकार एक मामला आयोग सचिव ने रूचियाना, जालोर, निवासी लखाराम पुत्र झूठाराम के खिलाफ भी दर्ज कराया है। आयोग की ओर से दी गई रिपोर्ट के अनुसार, 11 अक्टूबर 2022 को 2 परियों में स्कूल लेक्चरर की परीक्षा करवाई गई थी। सांचौर निवासी दिनेश कुमार को जोधपुर में अनिवार्य विषय के लिए नांदड़ी सेंटर और कृषि (ऐच्छिक विषय) के लिए जालोरी गेट स्थित सेंटर अलॉट किया था। दूसरे कैंडिडेट लखाराम का पहली पारी का सेंटर जोधपुर में ओलंपिक टावर के पास और दूसरी पारी में पूगला जोधपुर आया था। दिनेश और लखाराम एग्जाम में पास हो गए। इसके बाद डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया की गई। इसमें भी दिनेश कुमार और लखाराम बच निकले। लेकिन, इसके बाद जब आयोग ने एग्जाम सेंटर से आई अटेंडेंस शीट और दोनों कैंडिडेट्स के उपलब्ध कराए डॉक्युमेंट की जांच की तो दोनों में फोटो अलग-अलग निकले।
इसके बाद आयोग ने दिनेश और लखाराम को 15 सितंबर 2023 को नोटिस जारी किया। उसे 20 सितम्बर तक आयोग कार्यालय में आने के आदेश दिए गए थे। दिनेश से आयोग की पूछताछ के दौरान उसने अपना गांव सांचौर के सियागांव में गिल्लो की ढाणी बताया। साथ ही, कहा कि पिछले 3 सालों से वो जयपुर में गुर्जर की थड़ी के पास गोपाल पीजी, कटेवा नगर में रहता है। पूछताछ में जब दिनेश से अपने गांव के संबंधित थाने के बारे में पूछा गया तो वह जवाब नहीं दे पाया। उसने अपने पशुपालन विभाग में कार्यरत भाई सुरेश विश्नोई को फोन कर इसकी जानकारी मांगी। दिनेश ने भाई बताकर जिन नंबरों पर फोन किया था। उसके एप्लीकेशन फॉर्म पर भी वही नंबर अंकित थे। आयोग ने जब उससे अपने नंबर लिखने को कहा तो उसने दूसरे नंबर लिखे। लखराम भी जांच में आयोग के सवालों के जवाब नहीं दे पाया था। उसकी सेंटर अटेंडेंस शीट पर लगी फोटो और डॉक्युमेंट्स पर लगी फोटो अलग थी।
ऐसे में आयोग को शक हो गया कि किसी फर्जी कैंडिडेट से परीक्षा दिलवाई गई है। 3 अक्टूबर काे आयोग सचिव रामनिवास मेहता की ओर से रिपोर्ट रसूलपुरा निवासी कार्मिक महेन्द्र कुमार पुत्र मोहनलाल मेघवंशी ने सिविल लाइन थाना पुलिस काे दी। इस संबंध में उप महानिरीक्षक पुलिस द्वितीय एसओजी ने भी 31 जुलाई को आयोग को एक शिकायत भेजी थी। RPSC की RAS भर्ती परीक्षा से ही नकल विरोधी कानून लागू हुआ है। यह परीक्षा इसी माह 1 अक्टूबर को हुई थी। इस कानून के तहत आजीवन कारावास, प्रॉपर्टी अटैचमेंट और 10 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।
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