जानकारों ने कहा सिन्थेटिक ट्रेक के बाद निकलेंगे कई खिलाड़ी
कोटा: सुविधाएं, संसाधन, माहौल और प्रशिक्षित कोच मिले तो राजस्थान, हाड़ौती में से कई ऐसे एथलीट निकलकर सामने आ सकते हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं अन्तरराष्टÑीय स्तर पर अपनी गहरी छाप छोड़ सकते हैं। यह कहना है स्थानीय खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और जानकारों का। दरअसल वर्ल्ड एथलीट डे से पूर्व जब नवज्योति ने राजस्थान और हाड़ौती में एथलीट में शामिल खेलों में खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर संबंधितों से बात की तो कई बातें निकलकर सामने आई। दरअसल एथलीट के खेलों में उत्तर और दक्षिण भारत के एथलीटों का ही दबदबा रहा है। ऐसे में ये जानना जरुरी है कि क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा राज्य होने के बाद भी राजस्थान से इतने एथलीट नहीं निकल पाए है जितने उक्त क्षेत्रों से निकले हैं। उल्लेखनीय है कि हर वर्ष 7 मई को विश्व एथलीट दिवस मनाया जाता है और दुनिया के कई देशों में इस दिन एथलीट की कई प्रतिस्पर्द्धाओं का आयोजन होता है। भारत में भी इस दिन राष्टÑीय खेल संस्थान पटियाला में एथलेटिक्स प्रतिस्पर्द्धाएं आयोजित की जाती है। एथलेटिक्स में थ्रो, जम्प तथा दौड़ सहित कई प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। एथलेटिक्स को सभी खेलों की जननी माना जाता है। वास्तविक रूप में देखा जाए तो एक अच्छे और उच्च स्तरीय प्रदर्शन वाले खिलाड़ी की परिकल्पना बिना एथलीट के गुणों के नहीं की जा सकती है। एथलेटिक्स खिलाड़ी के सम्पूर्ण विकास के लिए जिम्मेदार खेल है। अगर हम हाड़ौती क्षेत्र की बात करें तो इस क्षेत्र के जिला मुख्यालय खासकर कोटा जिला तक सुविधाओं के लिए मोहताज है। अभी पिछले कुछ वर्षों में यहां के जनप्रतिनिधियों ने खेलों के लिए सुविधाएं मुहैया करवाई है लेकिन अभी भी सुविधाएं बहुत कम हैं। यद्यपि कोटा में 7 मई को ही सिन्थेटिक ट्रेक का उद्घाटन होगा लेकिन अभी जिले में और भी स्टेडियम बनाने की आवश्यकता है। वर्तमान सरकार ने भी खेलों के लिए सुविधाएं मुहैया करवाई हैं परन्तु उनके बड़े और व्यापक स्तर पर करवाना आवश्यक है। तभी हम कोटा व हाड़ौती के खिलाड़ियों को राष्टÑीय और अन्तरराष्ट,ीय पटल पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए देख पाएंगे।
ज्ञातव्य है कि एथलीट में होने वाली स्पर्द्धाओं में भारत के एथलीट भी भाग लेते हंै परन्तु इतनी जनसंख्या होने के बाद भी अच्छे एथलीटों की संख्या काफी कम है और इसीलिए अन्तरराष्टÑीय स्तर पर भारत का प्रदर्शन निम्न हैं। इसका मुख्य कारण खेलों के लिए उपयुक्त खिलाड़ियों का चयन ना होना है। राष्टÑीय स्तर पर उत्तर व दक्षिण भारत के एथलीटों का ही एथलेटिक्स प्रतिस्पर्द्धाओं में दबदबा कायम रहा है। इसका कारण ये है कि वहां एथलेटिक्स टेÑकों तथा मैदानों की कमी नहीं होना हैं। हर छोटे जिले में एथलेटिक्स के लिए पर्याप्त ट्रेक व मैदान के अलावा सभी सुविधाएं उपलब्ध है। वहीं अभिभावकों का भी अपने बच्चों में खेलों को लेकर काफी रूझान है। राजस्थान की बात हो तो क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है परन्तु खेलों में प्रदेश का स्तर अच्छा नहीं रहा है। प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर ही खेल मैदान उपलब्ध नहीं है। कुछ ही जिले ऐसे हैं जहां पर एथलेटिक्स ट्रेक और सुविधाएं उपलब्ध है। जिससे राजस्थान के खिलाड़ियों प्रदर्शन भी ज्यादा अच्छे स्तर का नहीं रहा है। परन्तु अभी कुछ वर्षों से राज्य के कुछ जिलों के खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और नेशनल लेवल पर पदक हांसिल करने में सफल हुए हैं लेकिन इतने बड़े प्रदेश के लिए यह प्रदर्शन बहुत ही कम है। जानकारों का कहना है कि वर्तमान राज्य सरकार ने खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी देने की योजना शुरू की है परनतु ये योजना निचले स्तर पर खिलाड़ियों को आगे नहीं बढ़ने देती है। जब तक सभी जिला मुख्यालयों पर प्रत्येक खेल के लिए स्टेडियम का निर्माण नहीं होगा व ग्रामीण स्तर पर कम से कम पंचायत स्तर पर ग्राउंड नहीं होंगे तब तक प्रदेश के खिलाड़ियों से राष्टÑीय स्तर पर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं की जा सकती है। राज्य सरकार को चाहिए कि स्कूल स्तर पर भी खेलों को अनिवार्य रूप से लागू करें और खेलों की योजनाओं को कागजों से निकालकर जमीनी स्तर तक पहुंचाए। राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों को मिलने वाला टीए, डीए के भुगतान प्रक्रिया भी सरल हो। कई बार प्रतियोगिताओं के 6 महीने बाद तक टीए, डीए का भुगतान नहीं होता है।
हरियाणा के बाद एथलेटिक्स में पदक लाने में राजस्थान का ही नम्बर है। खेलो इंडिया के तहत राजस्थान में सरकार की ओर से टेÑक बनवाए जा रहे हैं। जिससे राजस्थान के खिलाड़ियों के प्रदर्शन में और निखार आएगा। कोटा में बने सिन्थेटिक ट्रेक का लाभ हाड़ौती के ही नहीं बल्कि अन्य स्थानों के खिलाड़ी भी लेंगे।
- अजीज पठान, जिला खेल अधिकारी।
बीते कुछ सालों से एथलेटिक्स के खलों के प्रति खिलाड़ियों का रूझान बढ़ा है। पहले डाइट पर घ्यान नहीं दिया जाता था अब दिया जाने लगा है। लोकसभा अध्यक्ष के प्रयासों से कोटा में राज्य का 5वां सिन्थेटिक ट्रेक बना है जो हाड़ौती के खिलाड़ियों के लिए एक सौगात है। इससे बहुत अच्छे खिलाड़ी तैयार होंगे। पहले राज्य के खिलाड़ियों का ध्यान क्रिकेट और फुटबाल की ओर ज्यादा था लेकिन अब एथलेटिक्स की ओर रूख हुआ है।
- विशाल शर्मा, अध्यक्ष, जिला एथलेटिक्स संघ।
राज्य के हर जिले में क्वालिटीवाइज कोच नहीं है। जहां कोच है वहां खिलाड़ी नहीं है जहां खिलाड़ी है वहां कोच नहीं है। अभी परिजनों के और जागरुक होने की आवश्यकता है तभी स्पोटर्स में आगे आएंगे। हाड़ौती की बात करें तो यहां खिलाड़ियों की कोई नहीं हैं लेकिन खिलाड़ियों के संसाधनों की अभी और आवश्यकता है।
- शाहबाज खान, कोच, बास्केटबॉल।
प्रदेश और हाड़ौती में खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं है और ना वो मेहनत में कोई कसर रखते हैं। इनको प्रशिक्षण देने वाले भी इनको खूब मोटिवेट करते हैं लेकिन साधन और संसाधनों और सरकारी प्रोत्साहन का होना अति आवश्यक है। सरकार की खेलों और खिलाड़ियों को लेकर बनाई गई जितनी भी योजनाएं हैं जब तो वो सभी जमीनी पटल पर आएगी ताी प्रदेश और हाड़ौती के खिलाड़ियों को लाभ मिलेगा और उनसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर सकेंगे।
- राकेश शर्मा, सचिव जिला एथलेटिक्स संघ।
हाड़ौती के बच्चों को गेम में जिन सुविधाओं की जरुरत है वो आसानी से उपलब्ध नहीं है। कुछ बच्चे तो सुविधाओं तब पहुंच तक नहीं सकते हैं। सुविधाएं पास-पास होगी तो गांव की कई प्रतिभाएं सामने आएगी। इसलिए खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करें इसके लिए सबसे बड़ी जरुरत सुविधाओं के पास होने की है।
- जॉय बनर्जी, शिक्षाविद्।