राजस्थान

जिले के सवा लाख से अधिक विद्यार्थियों पर 25 करोड़ रुपए से अधिक का खर्चा

Admin Delhi 1
1 Feb 2023 2:36 PM GMT
जिले के सवा लाख से अधिक विद्यार्थियों पर 25 करोड़ रुपए से अधिक का खर्चा
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कोटा: केन्द्र एंव राज्य सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में संचालित की जा रही मिड-डे-मिल योजना के तहत कोटा जिले के 1154 (मदरसें भी शामिल) संस्थाओं का सत्र 2021-22 का कुल खर्चा 25 करोड़, 23 लाख और 8 हजार रूपए आया है। सरकार की ओर से पूरे सत्र के लिए प्रत्येक जिले को तीन या चार हिस्सों में बजट जारी किया जाता है। वर्ष 2016 से पूर्व यह योजना जिला परिषद के अधीन संचालित की जाती थी लेकिन उसके बाद से जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक के अधीन संचालित की जा रही है। कोटा जिला के कोटा, लाडपुरा, सुल्तानपुर, इटावा, सांगोद तथा खैराबाद ब्लॉक में कुल 1154 सरकारी संस्थाओं जिनमें 66 मदरसें भी शामिल हैं, के कक्षा 1 से 8 तक के 1,25,346 बालक-बालिकाओं को इस योजना के तहत लंच के समय मिड-डे-मिल योजना के तहत भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा हैं। इन विद्यालयों में से 161 विद्यालयों में रसोईघर/किचनशेड नहीं हैं। मिड-डे-मिल योजना के तहत कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थी को खाद्यान्न 100 ग्राम तथा कक्षा 6 से 8 के प्रत्येक विद्यार्थी को 150 ग्राम प्रति छात्र-छात्रा भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है। अक्टूबर 2022 से पूर्व प्रतिदिन प्रति छात्र 4.97 तथा कक्षा 6 से 8 के लिए 7.45 कुकिंग कन्वर्जन राशि थी लेकिन नवम्बर से बढ़ाकर क्रमश: 5.45 तथा 8.17 कर दी गई है।

प्रत्येक विद्यालय में छात्रों की संख्या के आधार पर कुक कम हेल्पर रखे जाते हैं जिन्हे 1742 रूपए प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है। इस समय जिले में 2082 कुक कम हेल्पर कार्यरत हैं। इनमें से 338 इटावा, 376 खैराबाद, 472 कोटा, 213 लाडपुरा, 374 सांगोद तथा 309 सुल्तानपुर ब्लॉक में कार्यरत हैं। इन सभी ब्लॉक में कक्षा 1 से 5 तक के 78365 तथा कक्षा 6 से 8 तक के 46981 विद्यार्थी नामांकित हैं। मिड-डे-मिल योजना के तहत कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थी को 100 ग्राम गेंहू/चावल, 20 ग्राम दालें, 20 ग्राम सब्जी, 5 ग्राम तेल और नमक एवं मसाले तथा कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थी को 150 ग्राम गेंहू/चावल, 30 ग्राम दालें, 75 ग्राम सब्जी, 7.5 ग्राम तेल एवं नमक एवं मसाले उपलब्ध करवाएं जा रहे हैं। इनमें सोमवार को रोटी-सब्जी, मंगलवार को चावल एवं दाल या सब्जी, बुधवार को रोटी-दाल, गुरुवार को दाल, सब्जी, चावल आदि से बनी खिचड़ी, शुक्रवार को रोटी-दाल तथा शनिवार को रोटी-सब्जी दी जाती है। इसे अलावा सप्ताह में एक बार फल भी वितरित किया जाना आवश्यक है।

योजना का क्षेत्र: प्रारम्भ में यह योजना केवल सरकारी प्राथमिक स्कूलों में ही लागू की गई थी लेकिन 1997-98 तक इसे देश के सभी राज्यों के स्कूलों में लागू कर दिया गया। वर्ष 2002 में इस योजना में मुस्लिमों द्वारा चलाए जा रहे मदरसों को भी शामिल कर लिया गया। इसके बाद 2008 में उच्च प्राथमिक स्कूलों को भी इस योजना में शामिल कर लिया गया।

ये है मिड-डे-मिल योजना: भारत सरकार ने 1995 में राष्टÑीय स्कूल भोजन कार्यक्रम मिड-डे-मिल स्कीम का शुभारम्भ किया था। इसका उद्ेश्य सरकारी एवं सरकारी अनुदानित विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के पोषण में सुधार करना है। यह विद्यालय उपस्थिति स्कूल में बच्चों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए भी डिजाइन किया गया था। इसका उद्ेश्य प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन उपलब्ध करवाना है। इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में लोह और फोलिक एसिड जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी प्रदान करना है।

सरकार की ओर से बच्चों के लिए चलाई गई ये योजना बच्चों के लिए बहुत लाभकारी साबित हो रही है, बच्चों को पोष्टिक भोजन प्राप्त हो रहा हैं। बच्चें काफी रूचि के साथ भोजन करते हैं।

-यतीश विजयवर्गीय, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी, प्रारम्भिक कोटा।

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