राजस्थान

कोचिंग संस्थानों में भी दूषित पानी के कारण छात्र बीमार होने लगे

Admin Delhi 1
17 Oct 2022 1:58 PM GMT
कोचिंग संस्थानों में भी दूषित पानी के कारण छात्र बीमार होने लगे
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कोटा न्यूज़: शहर में दूषित पानी से लोगों के बीमार होने के मामले अब बढ़ने लगे हैं। लगातार दूषित पानी पीने से शरीर कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है। शहर में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। पूर्व में अपना घर आश्रम में दूषित पेयजल के कारण कई वृद्धजन अपनी जान गंवा बैठे थे। अब कोचिंग संस्थानों में भी दूषित पानी के कारण छात्र बीमार होने लगे हैं। इन घटनाओं से पुष्टि होती है कि जीवन का पर्याय पानी अब अपने साथ बीमारियां और मौत भी ढोने लगा है। दूषित जल के सेवन से दर्जनों बीमारियां दस्तक देने लगती हैं।

दूषित पानी यानी बीमारियों का गढ़: शुद्ध जल स्वास्थ्य की बुनियादी आवश्यकता है। सरकार भले ही कुछ भी बातें और दावे करें, लेकिन सभी को शुद्ध जल उपलब्ध कराने की बात आज तक पूरी नहीं कर पाई है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है वैसे ही पानी की आवश्यकता भी कई गुना बढ़ रही है। दूषित पेयजल के कारण लोग हैजा, टाइफायड, डायरिया, कुपोषण, कैंसर, बाल और पेट संबंधी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। जानकारी के अभाव में जो लोग इस परिस्थिति का सामना नहीं कर पाते हैं, वे असमय काल-कलवित हो जाते हैं। अब भी शहर में शुद्ध पानी की आपूर्ति पर्याप्त रूप से नहीं हो रही है। इस कारण लम्बे समय तक दूषित पानी का सेवन करने पर लोग बीमार हो जाते हैं।

शुद्ध पानी के दावे हवा-हवाई: जलापूर्ति के हिसाब से शहर को दो हिस्सों में बांट रखा है। शहर के आधे से ज्यादा क्षेत्र में अकेलगढ़ स्थित मुख्य जल उत्पादन केन्द्र और शेष हिस्से में सकतपुरा स्थित सब जल उत्पादन केन्द्र से जलापूर्ति की जाती है। जलदाय विभाग की ओर से शहर स्वच्छ जलापूर्ति के दावे किए जाते है, लेकिन हकीकत कोसों दूर है। शहर में कई स्थानों पर पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त हो रही है। इनके माध्यम से दूषित पानी की आपूर्ति घरों में होती है। इस कारण लोगों के बीमार होने का अंदेशा बना रहता है।

टैंकरों का पानी भी कर रहा बीमार: शहर के कई क्षेत्रों में अभी पर्याप्त जलापूर्ति नहीं होती हैं। इस कारण यहां पर टैंकरों के माध्यम से ही पानी का इंतजाम करना पड़ता है। टैंकरों से आने वाले पानी की शुद्धता कोई गारंटी नहीं होती है। कई टैंकर चालक नलकूप व अन्य स्रोतों से पानी भर कर लोगों को सप्लाई करते हैँ। ऐसे में यही पानी लोग को बीमार कर देता है। इन टैंकरों के पानी की शुद्धता की जांच की कोई व्यवस्था नहीं होती है। ऐसे में टैंकर चालक अशुद्ध पानी बेचकर अपना मुनाफा कमा रहे हैं। उन्हें आमजन के स्वास्थ्य कोई चिंता नहीं होती है।

पानी के भंडारण की नहीं लेते सुध: शहर में सुबह व शाम को जलापूर्ति की जाती है। ऐसे में कुछ क्षेत्र सालभर पानी का संकट झेलते रहते हैं। इसलिए यहां के निवासियों ने मकानों में पानी का स्टोरेज करने के लिए टैंक बना रखे हैं। इन टैंकों के माध्यम से ही लोग अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करते हैं। टैंकों की समय-समय पर सफाई नहीं होने के कारण इनमें कीटाणु पनप जाते हैं। इससे पानी दूषित हो जाता है। आमजन को दूषित पानी का पता नहीं चल पाता है। लगातार इसके सेवन से लोग बीमारी की चपेट में आ जाते हैं।

एक्सपर्ट व्यू: जल एक सार्वभौमिक विलायक है, इसलिए यह आसानी से प्रदूषित हो जाता है। जल में मुख्यत: आर्सेनिक, फ्लोराइड और नाइट्रेट, औद्योगिक एवं कृषि अपशिष्ट, माइक्रोप्लास्टिक, चिकित्सीय कचरा आदि संदूषक मिले होते हैं। तांबा, शीशा, क्रोमियम और रेडियोधर्मी पदार्थ भी जलस्रोतों के संपर्क में आने पर जल को दूषित कर जानलेवा बना देते हैं। अशोधित पानी में बैक्टीरिया, जीवाणु और परजीवी जैसे जैव-संदूषक भी होते हैं। प्रदूषक जल में इतनी सूक्ष्मता से घुले होते हैं कि ये आंखों से दिखते भी नहीं। हालांकि पानी को गर्म करने पर इस फर्क को साफ देखा जा सकता है। अत: शोधित या गर्म किए बिना ऐसा पानी पीने से बचना चाहिए, अन्यथा बीमार होने और मृत्यु का खतरा दोनों बढ़ जाता है।

- रोनित कुमार, पूर्व कैमिस्ट

शहर के जल उत्पादन केन्द्रों से पानी को पूरी तरह से शुद्ध करने के बाद वितरित किया जाता है। पाइप-लाइन के लीकेज होने पर कर्मचारियों को तुरन्त मौके पर भेजकर ठीक करवा देते हैं। इस दौरान जलापूर्ति बंद कर देते हैं ताकि गंदला पानी नलों में नहीं जा सके। कई बड़े संस्थान स्वयं के नलकूप व अन्य संसाधनों से पानी का इंतजाम करते हैं। इस दौरान उनको की पानी की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। अधिकांश दूषित पानी के मामले ऐसे ही संस्थानों में सामने आते हैं।

-रवि गुप्ता, सहायक अभियंता जलदाय विभाग

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