मार्च से जून तक पिछली बार से आठ प्रतिशत बढ़ जाएगी बिजली खपत
जयपुर: राजस्थान में मौसम बदलाव के चलते इस बार राजस्थान में तेज गर्मी पढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। बिजली कम्पनियों ने मार्च से जून तक गर्मी के हालातों का आंकलन कर पिछली साल से आठ प्रतिशत ज्यादा बिजली खर्च होने का अनुमान लगाया है। इस अनुमान के साथ ही गर्मियों में बिजली मैनेजमेंट के लिए ऊर्जा विभाग के अफसरों ने अभी से कवायद शुरू कर दी है।
गर्मियों में इतनी बढ़ सकती है बिजली की जरूरत:
प्रदेश में बिजली की खपत इस बार मार्च से जून तक करीब 3,72,097 लाख यूनिट (3720 करोड़ लाख यूनिट) बिजली की अनुमानित डिमांड रह सकती है। जो पिछले वर्ष के इन महीनों के अनुपात में करीब आठ प्रतिशत ज्यादा होगी। डिमांड के हिसाब से अभी 10,300 लाख यूनिट की कमी है। ऊर्जा विकास निगम को बिजली खरीद पर 17300 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। इसमें से 500 करोड़ से ज्यादा की अतिरिक्त बिजली खरीद करनी पड़ेगी। भीषण गर्मी में विद्युत उत्पादन निगम राज्य में डिमांड की तुलना में उत्पादन नहीं कर पाता है, क्योंकि उसके लिए उत्पादन निगम की सभी 23 इकाइयों से बिजली उत्पादन होना जरूरी है। पिछले एक-दो साल से 5 से 7 यूनिट तकनीकी कारणों से बंद रहती हैं, लिहाजा बिजली संकट और फिर कटौती के हालात से सबक लेते हुए ऊर्जा विभाग और ऊर्जा विकास निगम दोनों ने पहले ही होमवर्क शुरू कर दिया है।
सोलर, विंड एनर्जी के अलावा
पावर परचेज भी रहेगा माध्यम
प्लानिंग के अनुसार विद्युत उत्पादन निगम से 5200 मेगावाट के अलावा सोलर और विंड एनर्जी एग्रीमेंट से पांच हजार मेगावाट बिजली ली जाएगी। शॉर्टटर्म टेंडर के जरिए 500 से 700 मेगावाट और एक्सचेंज से 500 मेगावाट बिजली लेने की व्यवस्था की जाएगी। बाकी बिजली खरीद पावर परचेज एग्रीमेंट से जुड़ी उत्पादन कंपनियों से होगी। ऊर्जा विभाग ने यूपी से बैंकिंग के जरिए 1500 मेगावाट बिजली ली थी। अब यूपी को अप्रेल से सितम्बर तक इतनी ही बिजली वापस देनी है। जबकि, इसी दौरान राजस्थान में बिजली की डिमांड रहती है।