अभिभावकों की लगातार शिकायतों पर शिक्षा विभाग आया एक्शन मोड में
कोटा: आरटीई के तहत सत्र 2022-23 के प्री-प्राइमरी कक्षाओं में एडमिशन नहीं देने पर निजी स्कूलों की मान्यता खतरे में पड़ जाएगी। अभिभावकों की लगातार बढ़ती शिकायतों के बाद शिक्षा विभाग एक्शन मोड में आ गया है। विभाग अब निजी स्कूलों को नोटिस देने की तैयारी में है। स्कूल प्रबंधन को नोटिस के जरिए चेताया जाएगा। इसके बावजूद मनमानी जारी रहती है तो संबंधित स्कूलों की मान्यता समाप्ति का प्रस्ताव बनाकर निदेशालय बीकानेर भिजवा दिए जाएंगे। दरअसल, गुरुवार को जिला कलक्ट्रेट में आयोजित वर्चुअल बैठक में शिक्षा निदेशक ने इस मामले में शिक्षा अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
एडमिशन नहीं दिया तो रद्द होगी मान्यता: जिला कलक्ट्रेट में गत गुरुवार को शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में प्रदेश के सभी शिक्षा अधिकारियों की वर्चुअल बैठक हुई थी। जिसमें अधिकारियों ने आरटीई के तहत प्री-प्राइमरी कक्षाओं में चयनित बच्चों को निजी स्कूलों द्वारा एडमिशन न देने का मामला उठाया था। जिस पर निदेशक गौरव अग्रवाल ने सभी जिला शिक्षाधिकारियों को पाबंद करते हुए कहा, मान्यता आपके द्वारा जारी की जाती है। ऐसे में अपने स्तर पर निर्णय लेकर कमेटी गठित कर मामले की जांच करवाएं। यदि ऐसा प्रकरण सामने आता है तो संबंधित स्कूलों की मान्यता समाप्ति का प्रस्ताव बनाकर निदेशालय को तुरंत भिजवाएं।
स्कूल और विभाग के बीच पिस रहा अभिभावक: आरटीई के तहत प्री-प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश प्रक्रिया भले ही पूरी हो गई है। सरकार ने लॉटरी निकालकर बच्चों को स्कूल भी आवंटित कर दिए हैं। इसके बावजूद बच्चों को एडमिशन दिलाना अभिभावकों के लिए चुनौती बनी हुई है। अभिभावक जैसे ही रिपोटिंग के लिए स्कूल पहुंच रहे हैं तो उन्हें कोई न कोई बहाना बनाकर टाला जा रहा है। अभिभावकों का कहना है कि पहले आवेदन के लिए मशक्कत करनी पड़ी। जैसे-तैसे बच्चे का नंबर आया तो स्कूल प्रवेश देने से मुकर रहे हैं। जबकि, आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित हैं। वरियता के बाद भी बच्चों को एडमिशन नहीं दे रहे।
इस तरह होगी कार्रवाई: प्री-प्राइमरी कक्षाओं में चयनित बच्चों को एसआर नम्बर अलोट होने और दस्तावेज सही होने के बावजूद एडमिशन नहीं दिया जाता है तो संबंधित विद्यालयों को शिक्षा विभाग द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। जिसका जवाब स्कूल प्रबंधन को सात दिन में देना होगा। यदि, जवाब संतोषजनक नहीं हुए तो संबंधित स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में आई जाएगी। इसके अलावा विभाग द्वारा संबंधित स्कूलों में जांच दल भेजे जाएंगे। दल के सदस्य एसआर नम्बर, आरटीई के रजिस्टर, आरटीई मान्यता, आवेदन क्रमांक सहित कई दस्तावेज खंगाले। जिनमें खामियां मिलने पर रिपोर्ट तैयार कर 1993-8बी व आरटीई एक्ट 2009 के तहत मान्यता रद्द की कार्रवाई की जाएगी।
जिले में 1104 स्कूल हैं आरटीई में पंजीकृत: कोटा जिले में 1104 निजी स्कूल आरटीई में पंजीकृत हैं। कुछ निजी स्कूल चयनित बच्चों को एडमिशन दे रहे हैं लेकिन अधिकतर स्कूल मनमानी कर रहे हैं। जिसकी वजह से अभिभावक शिक्षा विभाग के चक्कर काटने को मजबूर हैं। वहीं, निजी स्कूल संघ सरकार के आदेश के खिलाफ कोर्ट की शरण में पहुंच गया। जिससे आरटीई बच्चों का प्रवेश अटक गया और वरियता होने के बावजूद एडमिशन नहीं दिया जा रहा।
प्रतिदिन आ रही 100 से ज्यादा शिकायतें: शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारी ने बताया कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा प्री-प्राइमरी कक्षाओं में आरटीई के विद्यार्थियों को एडमिशन नहीं दिए जाने की लगातार शिकायतें आ रही है। जिनमें स्कूलों द्वारा अभिभभावकों से फीस मांगने, वरियता होने के बावजूद दाखिला न देने, कागजों में कमियां निकालकर बहाने लगाने, शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करवाने सहित कई शिकायतें शामिल हैं। विभाग में प्रतिदिन 100 से ज्यादा अभिभावक निजी स्कूलों की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। हालांकि, कुछ स्कूलों ने तो एडमिशन दे दिए हैं लेकिन अधिकतर स्कूल कोई न कोई बहाना लगाकर अभिभावकों को टरका रहे हैं।
क्या है विवाद की जड़: सत्र 2022-23 में निजी स्कूलों में नर्सरी से एचकेजी तक आरटीई के तहत बच्चों को एडमिशन देने की मांग को लेकर अभिभावकों ने कोर्ट में याचिका लगाई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को आदेश जारी किया कि सत्र 2022-23 में सभी प्रवेशित बच्चों को आरटीई के तहत प्री-प्राइमरी कक्षाओं में एडमिशन दिया जाए। इस पर सरकार की सहमति से शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों को बीच सत्र से ही आरटीई के तहत एडमिशन देने के निर्देश जारी कर दिए। लेकिन, सरकार द्वारा फीस की पुनर्भरण राशि बच्चे के कक्षा एक में आने के बाद से ही देने की बात कहीं गई। इस पर प्राइवेट स्कूल संचालकों ने सरकार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी।
पुनर्भरण की स्थिति स्पष्ट करें सरकार: सरकार का आदेश शिक्षा का अधिकार अधिनियम एक्ट की मूल भावना के विपरीत है। प्राइवेट स्कूल बच्चों को एडमिशन देना चाहते हैं। लेकिन, इससे पहले सरकार को फीस पुनर्भरण की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। नर्सरी, एलकेजी व एचकेजी तक बच्चे की फीस न सरकार वहन करना चाहती है और न ही अभिभावक। ऐसी स्थिति में स्कूल किस मद से तीन साल का खर्चा वहन करेगा। अधिकारी द्वारा मान्यता रद्द करने के आदेश जारी कर धमका रहे हैं और अभिभावक व स्कूलों के बीच टकराव की स्थिति पैदा कर रहे हैं। सरकार के आधारहीन आदेशों के खिलाफ स्कूल क्रांति संघ जयपुर की ओर से हाईकोर्ट में पुर्नविचार याचिका दायर की गई है, जिसकी सुनवाई 17 फरवरी को है।
-जमना शंकर प्रजापति, जिलाध्यक्ष निजी स्कूल संचालक संघ कोटा
चयनित बच्चे को एसआर नम्बर एलॉट हो जाता है और दस्तावेज सही है तो विद्यालय को एडमिशन देना ही होगा। यदि, विद्यालय द्वारा किसी भी तरह की आनाकानी या राशि वसूलने की कोशिश की जाती है तो अभिभावक तुरंत शिक्षा विभाग को इसकी शिकायत दें। संबंधित स्कूल के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद विद्यालय नियमों का पालन नहीं करते है तो मान्यता समाप्ति का प्रस्ताव तैयार कर निदेशालय भिजवा दिया जाएगा। जहां से संबंधित स्कूल की मान्यता रद्द भी हो सकती है।
-ध्वज शर्मा, आरटीई प्रकोष्ठ प्रभारी, जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय कोटा