जयपुर: कृषि विभाग की ओर से ड्रोन तकनीकी का सजीव प्रदर्शन बुधवार को जोबनेर स्थित जोशीवास गांव में कृषि मंत्री लालचंद कटारिया की अध्यक्षता में हुआ। कटारिया ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से दो वर्षों में 1500 ड्रोन कस्टम हायरिंग केंद्रों पर उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रदेश के ऐसे किसान जो सीमित आय के कारण उन्नत एवं महंगे कृषि उपकरणों को क्रय करने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें ड्रोन किराए पर उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे किसान कम लागत एवं कम समय में व्यापक कृषि क्षेत्र में रसायनों का छिड़काव कर सकें।
33 जिलों में एक साथ किया ड्रोन से रसायनों का छिड़काव : कटारिया ने बताया कि कृषि कार्यों में ड्रोन तकनीकी से फ सलों में रसायनों के छिड़काव का सजीव प्रदर्शन की शुरुआत प्रदेशभर में हुई, जिसमेें किसानों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक जिले में 20 हैक्टेयर क्षेत्र में ड्रोन से रसायनों का छिड़काव किया। प्रथम चरण में नैनो यूरिया के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है, जिससे यूरिया की कमी को पूरा किया जा सकेगा।
पाले से नुकसान की गिरदावरी के आदेश जारी किए : कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2022-23 में 'समृद्ध किसान, खुशहाल राजस्थान' की सोच के साथ प्रदेश का पहला कृषि बजट प्रस्तुत किया गया, जिसमें कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 11 मिशनों की घोषणा की गई। साथ ही राज किसान साथी पोर्टल विकसित किया गया है, जिसमें कृषि और संबंधित विभाग की 23 जन-कल्याणकारी योजनाओं के आवेदन से लेकर भुगतान तक की संपूर्ण प्रक्रिया पूर्ण: आॅनलाइन की गई है। उन्होंने कहा कि पाले से फ सलों में नुकसान की गिरदावरी के आदेश जारी कर दिए गए हैं। कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव दिनेश कुमार ने बताया कि दुनिया भर में कृषि कार्यों के लिए आर्टिफि शियल इंटेलिजेंस और ड्रोन का उपयोग बढ़ रहा है। कृषि आयुक्त कानाराम ने बताया कि पारंपरिक तरीके से छिड़काव के मुकाबले ड्रोन से छिड़काव में 70-80 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। खड़ी फ सल में पोषक तत्वों की कमी का निर्धारण एवं उनकी पूर्ति ड्रोन के माध्यम से आसानी से की जा सकती है।