राजस्थान

बीजोपचार कर मूंगफली का बढ़ाएं उत्पादन

Tara Tandi
7 Jun 2023 2:36 PM GMT
बीजोपचार कर मूंगफली का बढ़ाएं उत्पादन
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खरीफ के मौसम में मूंगफली की फसल का उत्पादन बढाने के लिए बीजों का आवश्यक उपचार करना चाहिए।
ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म के उप निदेशक कृषि (शस्य) श्री मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि मूंगफली खरीफ में उगाई जाने वाली एक प्रमुख तिलहनी फसल है। मूंगफली की बुवाई जून के प्रथम सप्ताह से दूसरे सप्ताह तक की जाती है। मूंगफली उत्पादन में बढोतरी के लिए उन्नत शस्य क्रियाओं के साथ-साथ फसल को कीटों व रोगों से बचाना भी अति आवश्यक है। मूंगफली की फसल में दीमक, सफेद लट, गलकट, टिक्का (पत्ती धब्बा) व विषाणु गुच्छा आदि कई अन्य हानिकारक कीट व रोगों का प्रकोप होता हैं। इनमें से सफेद लट व गलकट (कॉलर रॉट) रोग के कारण फसल को सर्वाधिक हानि होती हैं। मूंगफली की फसल को कीटों व रोगों से बचाने के लिए विभागीय सिफारिशों के अनुसार बीजोपचार करें। बीजोपचार करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र पहनें।
कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने जानकारी दी कि गलकट रोग के कारण पौधे मुरझा जाते हैं। ऎसे पौधों को उखाड़ने पर उनके स्तम्भ मूल संधि (कॉलर) भाग व जड़ों पर फफूंद की काली वृध्दि दिखाई देती हैं। इस रोग से समुचित बचाव के लिए मृदा उपचार, बीजोपचार एवं रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करना चाहिए। किसान भाई बुवाई से पूर्व 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा 500 किलोगोबर में मिलाकर एक हैक्टेयर क्षेत्र में मिलावें। साथ ही आरजी 425 व आरजी 510 आदि रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करेंं। कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत का 3 ग्राम तथा थाईरम 3 ग्राम अथवा मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलोबीज की दर से बीजोपचार करें। रासायनिक फफूंदनाशी के लिए 1.5 ग्राम थाईरम एवं 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा से प्रतिकिलो बीज को उपचारित करें।
सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी (कीट) डॉ. दिनेश स्वामी ने बताया कि मूंगफली की फसल को भूमिगत कीटों के समन्वित प्रबंधन के लिए बुवाई से पूर्व भूमि में 250 किलो नीम की खली प्रति हैक्टेयर की दर से डालें। इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस की 6.5 मिली प्रतिकिलो बीज से बीजापचार करें। साथ ही ब्यूवेकिया बेसियाना का 0.5 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से बुवाई के 15 दिन बाद डालें। विशेेष कर जिन क्षेत्रों सफेद लट का प्रकोप होता है वहां फसल को सफेद लट से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस की 6.5 मि.ली. प्रति किलो बीज या क्लोथायोनिडिन 50 डब्ल्यूडीजी 2 ग्राम प्रति किलो बीज अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की 3 मिली प्रति किलो बीज अथवा क्यूनालफॉस 25 ईसी 25 मिली प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें। बीज को 2 घण्टे छाया में सुखाकर बुवाई करें।
कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) श्री कमलेश चौधरी ने बताया कि बुवाई से पूर्व बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने से फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती हैं। बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने के लिए 2.5 लीटर पानी में 300 ग्राम गुड़ को गर्म करके घोल बनाए। घोल के ठण्डा होने पर इसमें 600 ग्राम राइजोबियम जीवाणु कल्चर मिलाए। इस मिश्रण से एक हैक्टेयर क्षेत्र में बोए जाने वाले बीज को इस प्रकार मिलाएं कि सभी बीजों पर इसकी एक समान परत चढ़ जाएं। इसके पश्चात इन बीजों को छाया में सुखाकर शीघ्र बोने के काम में लेवें। किसान भाई फफूंदनाशी, कीटनाशी से बीजों को उपचारित करने के बाद ही राइजोबियम जीवाणुकल्चर से बीजों को उपचारित करें।
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