आयुर्वेद में शोध की प्राचीन परंपरा से स्वास्थ्य -विज्ञान का विकास : प्रो. गौड़
जोधपुर। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर के मौलिक सिद्धान्त विभाग के तत्वावधान में शोध विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “शोध मीमांसा” बुधवार को समारोहपूर्वक सम्पन्न हुई।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि विख्यात आयुर्वेदज्ञ एवं आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के पूर्व कुलपति प्रो. (वैद्य) बनवारीलाल गौड़ ने समारोह को सम्बोधित करते हुऐ कहा कि यद्यपि आयुर्वेद प्राकृतिक सिद्धान्तों पर आधारित एक शाश्वत एवं सार्वकालिक स्वास्थ्य विज्ञान है, तथापि शोध की सतत परम्परा से आयुर्वेद के वैज्ञानिक पक्ष को निरन्तर समृद्ध करने की आवश्यकता है, ताकि सम्पूर्ण मानवता को आयुर्वेद के रूप में स्वास्थ्य -संरक्षण का श्रेष्ठ एवं सर्वस्वीकार्य विकल्प मिल सकें। उन्होनें कहा कि प्राचीन काल में आयुर्वेद का क्रमिक विकास तथा संहिताओं का निर्माण शोधकार्यों की निरन्तरता से ही संभव हुआ है। आयुर्वेद में कहा गया है कि सृष्टि में उपलब्ध समस्त पादप एवं खनिज द्रव्य औषधीय गुणों से युक्त हैं, जो सभी स्वास्थ्य-समस्याओं के निराकरण एवं स्वास्थ्य - संरक्षण में सर्वथा प्रभावी और कारगर है जिनका उल्लेख सुश्रुत संहिता, चरक संहिता, वाग्भट तथा मध्य काल के आयुर्वेद -ग्रन्थों में विकीर्ण रूप में उपलब्ध है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने कहा कि शोधकार्यों से ही विज्ञान का विकास होता है तथा युगानुरूप प्रासंगिकता और उपादेयता के लिये आयुर्वेद में शोधकार्य समय की मांग है।
उन्होनें कहा कि कोविड महामारी में आयुर्वेद के प्रभावी योगदान को स्वीकार करते हुये विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहली बार बड़े स्तर पर आयुर्वेद को प्राथमिकता देते हुये भारत के जामनगर में ट्रेडिशनल मेडिकल सिस्टम का वैश्विक केन्द्र स्थापित किया है, जहां आयुर्वेद के शोधकार्य वैश्विक मानको के आधार पर किये जायेगें, जिससे सम्पूर्ण विश्व आयुर्वेद के शाश्वत ज्ञान से लाभान्वित होगा। विषय विशेषज्ञों डॉ अनिल कुमार एवं प्रो. हितेश व्यास ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। समारोह में कुलपति प्रो. प्रजापति ने अतिथिगण को स्मृति चिन्ह भेंट किये।
कार्यशाला के आयोजन अध्यक्ष एवं मौलिक सिद्धान्त विभागाध्यक्ष डा. देवेन्द्र चाहर तथा आयोजन सचिव डा. हरीश सिंघल एवं डा. दिनेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में 550 संभागियो ने पंजीयन कराया तथा सोशल मीडिया पर देश के लगभग 3000 व्यक्तियों ने वैज्ञानिक सत्रों के आयोजित व्याख्यानों में भाग लिया।
कार्यशाला में आमंत्रित विषय-विशेषज्ञों, पूर्व कुलपति प्रो. (वैद्य) बनवारी लाल गौड, आई. सी. एम. आर. नई दिल्ली के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान नई दिल्ली के रिसर्च एडवाइजर डा. अनिल कुमार एवं गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय जामनगर में स्थित इंस्टीट्यूट आफ टीचिंग एण्ड रिसर्च इन आयुर्वेद के डीन एवं विभागाध्यक्ष प्रो. हितेश व्यास द्वारा सुश्रुत सभागार में आयोजित पांच वैज्ञानिक सत्रों में शोध के विभिन्न महत्त्वपूर्ण पक्षों पर व्याख्यान दिये गये, जिनका फेसबुक एवं यूटयूब पर जीवन्त प्रसारण किया गया।
विश्वविद्यालय में आयोजित किये जा रहे विश्व तम्बाकू निषेध जाकरूकता सप्ताह के अन्तर्गत विभिन्न कार्यक्रमों एवं प्रतियोगिताओं में उल्लेखनीय योगदान करने वाले अध्येताओं को कार्यशाला के समापन -समारोह में अतिथियों द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम प्रभारी एवं अगद तंत्र विभागाध्यक्ष डा. ऋतु कपूर ने इस अवसर पर जागरूकता -सप्ताह में आयोजित गतिविधियों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। समापन -समारोह में उपस्थित संभागियों को उपस्थित संभागियों को तम्बाकू निषेध की शपथ भी दिलाई गई। धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य निदेशक प्रो. महेन्द्र शर्मा ने किया एवं कार्यक्रम का संचालन एसोसिएट प्रोफेसर एवं आयोजन सचिव डा. दिनेश कुमार शर्मा ने किया।
Ashwandewangan
प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।