राजस्थान

राजस्थान में विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े ऑडियो वायरल पर फैसला आज, जानें पूरा मामला

Renuka Sahu
7 May 2022 5:23 AM GMT
Court verdict today on audio viral related to horse-trading of MLAs in Rajasthan, know the whole matter
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फाइल फोटो 

राजस्थान में विधायकों की खरीद-फऱोख्त का कथित मामला एक बार फिर सुर्खियों में है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजस्थान में विधायकों की खरीद-फऱोख्त का कथित मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम-3 महानगर प्रथम में एमएलए की कथित खरीद-फरोख्त से जुड़े ऑडियो वायरल करने और इस संबंध में बयानबाजी करने के मामले में बहस पूरी हो गई है। अदालत ओमप्रकाश सोलंकी की इस रिवीजन अर्जी पर आज फैसला देगी। मामले में सीएम अशोक गहलोत और महेश जोशी के अलावा सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा, तत्कालीन सीएस, गृह सचिव, डीजीपी, एडीजी सहित एसओजी के थानाधिकारी रविंद्र कुमार को पक्षकार बनाया गया है।

कोर्ट ने सीएम गहलोत को किया था तलब
अर्जी में परिवादी ने आॅडियो को वायरल करने औऱ अशोक गहलोत की ओर से बयानबाजी करने को लेकर निचला अदालत कोर्ट में परिवाद दायर किया था। लेकिन कोर्ट ने पूर्वाग्रह के चलते नवंबर 2021 में उसको खारिज कर दिया था। इसलिए निचली कोर्ट का आदेश रद्द कर मामले की जांच के लिए संबंधित पुलिस थाने को भिजवाया जाए। वहीं राज्य सरकार का ओर से कहा गया कि प्रकरण निचली अदालत में सुनवाई के लिए योग्य नहीं है। निचली अदालत के परिवाद रद्द करने के आदेश को आपराधिक याचिका के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि 5 मार्च 2022 को आॅडियो वायरल मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम-3 महानगर प्रथम ने सीएम गहलोत को तलब किया था। कोर्ट ने 16 मार्च तक जवाब मांगा था।
जानिए पूरा मामला
निचली अदालत में पेश परिवाद में कहा गया था कि 17 जुलाई 2020 को सीएम को ओएसडी लोकेश शर्मा की ओर से एक ऑडियो क्लिप को वायरल करने का समाचार प्रकाशित हुआ था। लोकेश शर्मा लोक सेवक की श्रेणी में आते हैं। ऐसे में यह आईपीसी, ओएस एक्ट और टेलीग्राम एक्ट की अवहेलना है। इसके अलावा इस ऑडियो को बतौर सबूत मानकर महेश जोशी ने एसओजी में आईपीसी की धारा 120 बी और 124ए के तहत मामला दर्ज करवाया था। परिवाद में कहा गया कि इस ऑडियो क्लिप के बाद राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो गई था। सीएम अशोक गहलोत ने विधायकों की खरीद-फरोख्त के भी आरोप लगाए थे। परिवाद में कहा गया कि प्रदेश में राजद्रोह और संवेदनशील मामलों से जुड़ी एफआईआर को सार्वजनिक करने पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद अशोक गहलोत ने एसओजी के मुखिया अशोक राठौड़ से मिलीभगत कर जांच अपने उद्देश्य के लिए चार्जशीट से पहले ही सार्वजनिक कर दी।
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