राजस्थान

बेटियों ने तोड़ी परंपरा की बेड़ियां, मां को मुखाग्नि देकर विधि विधान से किया अंतिम संस्कार

Kunti Dhruw
18 Feb 2022 7:17 PM GMT
बेटियों ने तोड़ी परंपरा की बेड़ियां, मां को मुखाग्नि देकर विधि विधान से किया अंतिम संस्कार
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बूंदी जिले में बेटियों ने मां की अर्थी को कंधा देकर बेटे का फर्ज निभाया है. बेटियों ने मां का पूरे रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया. जिस मां ने हाथ पकड़कर चलना सीखाया, लाड-प्यार से पाला, बड़ा किया, अपने पैरों पर खड़ा किया, उसी मां की अर्थी को जब 5 बेटियों ने कंधा देकर विदा किया तो लोगों की आंखें भर आईं. बेटियों ने मां के शव को श्मशान घाट में मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार भी किया. धोवडा गांव में 80 वर्षीय मंगली बाई की मौत के बाद अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी निभाने का मामला सामने आ गया. मंगली बाई के बेटा नहीं होने से 5 बेटियों बिरधी बाई, गणेशी बाई, धापू बाई, मोहिनी बाई और दिलबर बाई ने बेटे का फर्ज निभाया. इस दौरान परिवार जन, सगे संबंधी और गांव के लोगों की आंखों में आंसू तैरते रहे.


बेटियों ने तोड़ी रूढ़ियां और निभाया बेटों का फर्ज

दरअसल, आज सुबह 4 बजे मंगली बाई का निधन हो गया था. मां के निधन की सूचना पर पांचों बेटियां गांव पहुंची. बुजुर्ग महिला की अर्थी निकली. बेटियों ने मां की अर्थी को कंधा दिया. गांव के मुख्य मार्गों से होते हुए अंतिम यात्रा में बेटियों को मां की अर्थी उठाए देख माहौल गमगीन हो गया. बड़ी बेटी बिरधी बाई ने बताया कि कोई भाई नहीं था. मां और पिता ने सभी बहनों को बेटों की तरह पाला. हाथ से हाथ मिलाकर बराबरी करना सिखाया. पिता गोपी लाल सैनी की 5 साल पहले ही मौत हो चुकी है. कुछ दिन पहले भी 7 बेटियां पिता को मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज अदा कर चुकी हैं.

उन्होंने कंधा देकर घर से श्मशान तक शव को पहुंचाया था. 25 जनवरी को बूंदी जिले के बाबाजी का बड़ा निवासी 95 वर्षीय रामदेव कलाल की बीमारी से मौत हो गई थी. पेशे से किसान रामदेव कलाल को एक भी बेटा नहीं था, केवल 7 बेटियां थीं. पिता की मौत की खबर सुनकर बेटी सुवालका काछोला बूंदी निवासी कमला देवी, शंकर नगर भीलवाड़ा निवासी मोहिनी देवी, इंद्ररगढ़ बूंदी निवासी गीता देवी, हिंडोली बूंदी निवासी मूर्ति देवी, शंकर नगर भीलवाड़ा निवासी पूजा देवी, टोडारायसिंह टोंक निवासी श्यामा देवी और हिंडोली बूंदी निवासी ममता देवी अर्थी को कंधा देने के लिए पहुंचीं. हिंडोली कस्बे से होते हुए कलाल समाज के मुक्तिधाम में बेटियों ने बेटों की तरह मुखाग्नि दी.


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