राजस्थान
मंडराया खतरा! प्रवासी पक्षी कुरजां में फैला 'बर्ड फ्लू', 189 की मौत
jantaserishta.com
14 Nov 2021 12:20 PM GMT
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हालांकि इस पर काफी काबू पाया गया हैं.
जोधपुर: राजस्थान में प्रेम और विरह के प्रसद्धि लोक गीत के प्रतीक प्रवासी पक्षी कुरजां (डोमीइसेल क्रेन) के इन दिनों बर्ड फ्लू की चपेट में आने से जोधपुर जिले में पिछले करीब दस दिनों में लगभग 200 कुरजां की मौत हो चुकी है। हालांकि इस पर काफी काबू पाया गया हैं। जोधपुर जिले के उप वन संरक्षक रमेश कुमार मालपानी ने बताया कि रविवार को जिले के रामासनी के एक अन्य तालाब पर तीन और कुरजां की मौत हो गई।
मालपानी ने बताया कि अब तक पिछले करीब 10 दिनों में 195 से अधिक कुरजां की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि इस बीमारी के अन्य जगहों पर डेरा डाल रखे पक्षियों में फैलने से रोकने में कामयाबी मिली हैं और अब इस पर काफी काबू पा लिया गया हैं, क्योंकि शुरू में इससे ज्यादा पक्षियों की मौत हुई थी, जबकि अब मरने वाले पक्षियों की संख्या घट रही हैं। शनिवार को मरने के सात मामले सामने आए जबकि आज केवल 3 कुरंजा की मौत हुई। उन्होंने बताया कि कापरड़ा, रामासनी, ओलवी और आसपास के क्षेत्रों में करीब 15 हजार कुरजां ने डेरा डाल रखा है।
उन्होंने बताया कि बीमारी के चलते सभी जरूरी सावधानियां बरती जा रही हैं और इसके लिए अलग अलग टीमें काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि बर्ड फ्लू की पुष्टि से पहले कई बीमार कुरजां का इलाज किया गया उनमें 8 कुरजां ठीक हो पाई, लेकिन अब बर्ड फ्लू बीमारी के सामने आने के बाद अभी उन्हें अन्य कुरजां के साथ शामिल नहीं किया गया और चिकत्सिकों की सलाह के बाद ही उन्हें उड़ने के लिए छोड़ने का फैसला किया जायेगा। वन्य जीव चिकत्सिक श्रवण सिंह राठौड़ ने बताया कि बीमारी का करीब 15 दिन तक एक समय होता हैं इस दौरान स्थिति काबू में रहने और इसके अन्य जगहों पर नहीं फैलने से इस पर काबू पाया जा सकता है और अब इसके अन्य जगहों पर मामले सामने नहीं आने से लगता हैं कि 5-6 दिन में स्थिति ठीक हो जाएगी।
उधर पशु पालन विभाग ने जांच के लिए कई पोल्ट्री फार्म से मुर्गियों के नमूने लिए हैं ताकि इस बीमारी का पता लगाया जा सके। इसी तरह प्रदेश के कई जगहों से पक्षियों की बीट के नमूने भी लिए गए हैं। गौरतलब है कि साइबेरिया और मंगोलिया से हजारों किलोमीटर का लंबा सफर तय कर शीतकालीन प्रवास के लिए राजस्थान के जोधपुर, जैसलमेर और पाली और कुछ अन्य जिलों सहित विभन्नि स्थानों पर हजारों कुरजां ने डेरा डाल रखा लेकिन गत 6 नवंबर को जोधपुर जिले के कापरड़ा तालाब पर इनके बीमार एवं मरने का मामला सामने आने के बाद इनके नमूनों की जांच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सक्यिोरिटी एनीमल्स डिजीज भोपाल भेजी गई और उसकी रिपोर्ट में इनमें बर्ड फ्लू होना पाया गया। साइबेरिया और मंगोलिया से लंबा सफर तय कर हर साल सर्दी के मौसम में कुरजां राजस्थान आती है और सर्दी के बाद मार्च महीने के आखिरी में वापसी की उड़न भरने लग जाती है।
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