उदयपुर न्यूज: एक करोड़ 33 लाख रुपये की लागत से बनी रक्तदान वाहिनी उदयपुर के चिकित्सा विभाग को उपहार स्वरुप प्राप्त हुई. जो आज धूल खा रहा है। शुरुआती दौर में एमबी मैनेजमेंट ने एक निजी कंपनी से इसका अनुबंध किया था। करीब 10 साल तक यह बस विधिवत चलती रही। अगर उसमें कोई खराबी होती तो वही कंपनी मेंटेनेंस करती थी। लेकिन कुछ साल पहले कंपनी का ठेका खत्म हो गया और अब इसे एमबी मैनेजमेंट चलाएगा। जब से यह बस एमबी के कब्जे में आई है तब से बंद पड़ी है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बस का एयर बैलून (शॉकर सस्पेंशन) खराब है. इसलिए यह सिर्फ धूल फांक रहा है।
दरअसल, कोरोना से पहले इसे चंडीगढ़ भेजकर करीब तीन लाख रुपये खर्च कर मरम्मत भी की गई थी। उसके बाद कुछ महीनों के लिए फिर शुरू हुआ, लेकिन अब पिछले डेढ़ साल से यह बंद पड़ा है। इसमें 4 ब्लड स्टोरेज भी हैं। इसमें रक्त को कई घंटों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इस बस के नहीं होने पर सामान्य एंबुलेंस व अस्पताल के कर्मचारियों को दान शिविर में भेजा जाता है। अभी जो एंबुलेंस चल रही है। इसमें रक्त को कुछ घंटों के लिए ही रखा जा सकता है, जिसके बाद टीमों को फिर से स्टोरेज में पहुंचाने के लिए लौटना पड़ता है।
यही वजह है कि जिस कैंप में 100 से ज्यादा डोनेशन हो सकता है। आधा ही हो सकता है। पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो तब से यह बस बंद पड़ी है। इसके बाद से एमबी अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड की उपलब्धता में कमी आई है। सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई यह वॉल्वो बस सभी सुविधाओं से लैस है। दान शिविर जिसमें यह आयोजित किया जाता है। वहीं, आयोजकों को टेंट और बेड की अलग से व्यवस्था नहीं करनी पड़ती है.