राजस्थान

सीहोर में घर के दरवाजे बनाने वाले ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा

Tara Tandi
8 March 2024 12:40 PM GMT
सीहोर में घर के दरवाजे बनाने वाले ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा
x
सीहोर : सीहोर में नाबालिग पीड़िता के घर के गेट, दरवाजे बनाने वाले आरोपी को दुष्कर्म के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही पीड़िता को चार लाख रुपए प्रतिकर दिए जाने का आदेश दिया गया है। यह फैसला पॉक्सो कोर्ट के विशेष जज अभिलाष जैन ने सुनाया।
विशेष लोक अभियोजन अधिकारी पैरवीकर्ता केदार सिंह कौरव के अनुसार 16 अक्टूबर 2022 को पीड़िता द्वारा ने बिलकिसगंज थाने पर उपस्थित होकर एक लिखित आवेदन दिया था। बताया था कि दो साल पहले जून में उसके पिता ने घर पर दरवाजे लगाने के लिए बिलकिसगंज निवासी आरोपी मोहन पिता ओमप्रकाश विश्वकर्मा को बुलाया था। वह घर पर ही रुककर दरवाजे का काम करता था। एक महीना बीतने के बाद एक दिन जब घर पर वह अकेली थी तो मोहन उसे फूल दिया और जबरदस्ती गले लगा लिया। वह कहता था कि तुम मुझे अच्छी लगती हो मैं तुमसे प्यार करता हूं। तुमसे शादी करना चाहता हूं। यदि तुमने मेरी बात नही मानी तो मैं तुम्हारे पिता व भाई को जान से खत्म कर दूॅगा। कुछ दि बाद रक्षाबंधन के बाद एक दिन मोहन विश्वकर्मा छत पर लेकर गया और जबरजस्ती छेडखानी करने लगा। वह भागकर नीचे आ गई। अगले दिन रात करीब 11 बजे जब सभी लोग सो गये थे तो मोहन ने उसे रात में जगाया। फिर अपनी टापरी में लेकर गया। उससे कहा कि यदि तू चिल्लायेगी तो तुझे चाकू से मार डालूंगा और उसने दुष्कर्म किया। इसके बाद मोहन ने नाबालिग के साथ कई बार बलात्कार किया। वह नाबालिग से कहता था कि यदि ये बात तूने किसी को बताई तो तुझे जान से मार डालूगा।
मंगेतर से कहा कि नाबालिग मेरी घरवाली है
अगस्त 2022 में नाबालिग की सगाई हो गई थी। यह सुनकर मोहन भोपाल गया और मंगेतर से कहा कि नाबालिग मेरी घरवाली है। तू उससे क्यों सगाई कर रहा है? फिर मंगेतर ने लड़की के घर वालों को सारी बात बताई। इसके बाद घर वालों के पूछने पर नाबालिग ने सारी घटना अपने माता-पिता व भाइयों को बताई। पीडिता के बयान के आधार पर आरोपी के विरुद्ध थाने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखी गई। जांच के बाद चार्जशीट पेश की गई। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी को दोषी पाया और धारा 5(एल)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का सरंक्षण अधिनियम में 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा 3(2)(व्ही) एससी/एसटी एक्ट में आजीवन कारावास और कुल दो हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया गया।
Next Story