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डूंगरपुर। जिले की एसीजेएम कोर्ट ने 16 साल पुराने धोखाधड़ी के मामले में दो आरोपियों को दोषी करार दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों दोषियों को 5-5 साल की सजा सुनाई है। वहीं, दोनों दोषियों पर 14-14 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। दोनों दोषियों ने फर्जी तरीके से प्रॉविडेंट फंड की रकम जुटाई थी।
अभियोजन अधिकारी कवीश जैन ने बताया कि राजस्थान कर सह भोजन डूंगरपुर के उप महाप्रबंधक जवाहर लाल ने सात फरवरी 2007 को कोतवाली थाने में मामला दर्ज कराया था. प्रतिवेदन में बताया गया कि मील में कार्यरत कर्मियों की भविष्य निधि की राशि काट कर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को अनुमंडल कार्यालय चित्रकूट उदयपुर भेजा जाता है. कर्मचारी को नौकरी छूटने के बाद बैंक के माध्यम से उक्त विभाग से राशि मिलती है। 21 दिसंबर 2006 को नौकरी छोड़कर माइल के पूर्व कर्मचारी प्रताप कुमार 4 फरवरी 2007 को माइल आए और बताया कि उन्हें भविष्य निधि कार्यालय उदयपुर से डाक द्वारा पत्र मिला है, जिसमें भविष्य निधि की राशि का उल्लेख है। उसने बताया कि भविष्य निधि के लिए उसने कोई बैंक खाता नहीं खोला है।
इसके बाद जब माइल प्रबंधन द्वारा मामले की जांच की गई तो पता चला कि माइल के कर्मचारी सोमनाथ दास ने डूंगरपुर शहर के पाल सागर स्थित केंद्रीय सहकारी बैंक में प्रताप के नाम से धोखाधड़ी से खाता खुलवाया था. वहीं, उसके अलावा नौकरी छोड़ने वाले 10 अन्य लोगों के फर्जी खाते भी डूंगरपुर में खोले गए और मील के कर्मचारी सरोज कुमार, बलमणि साहू, विनोद बिहारी और सोमनाथ दास, भविष्य निधि की राशि फर्जी तरीके से बढ़ा ली। इसी मामले में एसीजेएम कोर्ट ने आज अंतिम सुनवाई कर आरोपी विनोद बिहारी पुत्र बाबाजी बंधु निवासी बेनुपुर उड़ीसा व सोमनाथ दास पुत्र केशव दास उड़ीसा को दोषी करार दिया. कोर्ट ने दोनों दोषियों को 5-5 साल की सजा सुनाई और 14-14 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
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