उदयपुर: केंद्रीय कानूनी एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कोविड-19 से उपजी परिस्थितियों और तकनीक के इस दौर में हम अब वर्चुअल कोर्ट के जमाने में पहुंच गए हैं। इसमें जहां सुनवाई के लिए एक से दूसरे शहर तक महंगा ईंधन खर्च कर दौड़ नहीं लगानी होगी, वहीं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बेहतर परिणाम आएंगे। यह सब ईकोर्ट फेस थ्री में संभव हो पाएगा। इसमें न्याय व्यवस्था को पेपरलैस बनाया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री रिजिजू ने यह बात शनिवार को सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में विधि आयोग, विधि एवं न्याय मंत्रालय तथा सुविवि के विधि महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में ‘भारत में सतत् विकास-क्रमगत उन्नति और कानूनी परिप्रेक्ष्य’ विषयक सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर कही। रिजिजू ने कहा कि ईकोर्ट फेस-2 में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान वर्चुअल मोड पर न्यायालय चले, जो दुनिया के लिए आश्चर्य था। अब हम ई-कोर्ट फेस थ्री में आगे बढ़ रहे हैं, जिसके तहत न्यायिक प्रक्रिया को और चुस्त-दुरुस्त बनाएंगे। न्यायालय में लंबित केसों की लंबी फेहरिस्त है। केसों का पेंडिंग होना और न्याय में विलंब होना, देश और समाज को शोभा नहीं देता।
सरकार चाहती है कि न्याय प्रक्रिया की गति बढ़े। केंद्र सरकार डायनेमिक लीगल सिस्टम विकसित करना चाहती है। बीते 8 वर्षों में सरकार ने 1486 ऐसे कानून हटा दिए जिनकी कोई प्रासंगिकता नहीं थी। 67 कानूनों को हटाने की प्रक्रिया जारी है। सम्मेलन में केंद्रीय कानून राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल, भारतीय विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति एमएम श्रीवास्तव, सुविवि के कुलपति प्रो. आईवी त्रिवेदी आदि उपस्थित थे।