राजस्थान

निगम की गौशाला संविदा कर्मियों के भरोसे

Admin Delhi 1
25 Feb 2023 3:08 PM GMT
निगम की गौशाला संविदा कर्मियों के भरोसे
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कोटा: शहर को पशु मुक्त(कैटल फ्री) बनाने के लिए सड़कों से लावारिस हालत में घूमते पशुओं को पकड़कर नगर निगम की जिस गौशाला में रखा हुआ है। वह पूरी गौशाला संविदा कर्मियों के भरोसे ही चल रही है। गौशाला में पशु चिकित्सक से ेकर सफाई कर्मचारी तक संविदा पर लगे हुए हैं। शहर में निजी व संस्थाओं द्वारा भी कई गौशालाओं का संचालन किया जा रहा है। जहां बेहतर नस्ल की गाय हैं। वहां गायों की देखभाल भी उसी तरह से की जा रही है। लेकिन नगर निगम की बंधा धर्मपुरा स्थित गौशाला में अधिकतर लावारिस हालत में सड़कों पर घूमने वाली गाय हैं। नगर विकास न्यास द्वारा शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए पशु पालकों को न्यास की देव नारायण आवासीय योजना में शिफ्ट किया गया है। जबकि लावारिस हालत में घूमने वाले पशुओं जिनमें गाय, भैस, बैल व बछड़े शामिल हैं उन्हें पकड़कर निगम की गौशाला में बंद किया जा रहा है।

32 सौ के पार पहुंची संख्या

न्यास के साथ ही नगर निगम भी इस काम को अंजाम दे रहा है। न्यास द्वारा दिन के समय और निगम द्वारा संवेदक के माध्यम से रात के समय पशुओं को पकड़कर गौशाला में भेजा जा रहा है। जिससे गौशाला में पशुओं की संख्या बढ़कर 32 सौ से अधिक हो गई है। ऐसे में वहां पशुओं को रखने की पर्याप्त जगक तक नहीं है।

सफाई कर्मी भी संवेदक के

गौशाला व कायन हाउस में बाड़ों की सफाई से लेकर पशुओं को चारा पानी के काम के लिए लगे सफाई कर्मचारी तक संवेदक के माध्यम से लगे हुए हैं। जानकारी के अनुसार गौशाला में 94 व कायन हाउस में 14 सफाई कमचारी हैं। साथ ही गौशाला में 3 व कायन हाउस में 1 सुपर वाइजर कार्यरत है।

व्यवस्था के लिए किए अलग-अलग बाड़े

गौशाला में पशुओं की संख्या बढ़ने के साथ ही निगम प्रबंधन द्वारा पशुओं को अलग-अलग बाड़ों में रखना शुरू कर दिया है। साथ ही पूर्व में पूरी तरह से उपयोग में नहीं आ रही नंदी गौशाला की जगह को भी काम में लेना शुरू कर दिया है। नंदी गौशाला वाले बाड़े में करीब 12 सौ नंदी व छोटे बछड़े, गायों के चार बाड़ों में करीब 1 हजार गाय और बीमार पशुओं को अलग बाड़े में रखा जा रहा है। इनकी संख्या भी करीब 12 सौ है। वहीं करीब 25 पशु ऐसे हैं जो नि:शुक्त हैं उन्हें भी अलग बाडे में रखा गया है।

अधिकारी ध्यान दें तो सुधरेगी व्यवस्था

नगर निगम कोटा दक्षिण की गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह का कहना है कि शहर को कैटल फ्री बनाना अच्छा है। इससे शहर में पशुओं के कारण होने वाले हादसे रूकेंगे। लेकिन गौशाला में पशुओं को रखने से पहले उनकी व्यवस्था में सुधार तो हो। निगम अधिकारी ध्यान दें तो गौशाला की दशा भी सुधरेगी और गायों की मौत में भी कमी आएगी। बीमार पशुओं की देखभाल जरूरी है लेकिन स्टाफ की कमी से परेशानी आती है। संविदा पर जो स्टाफ लगा है उससे काम चला रहे हैं।

स्थायी स्टाफ तक नहीं

गौशाला में इतने अधिक पशुओं में अधिकतर बीमार पशु हैं। जिनकी देखभाल व उपचार के लिए गौशाला के पशु उप केन्द्र में स्थायी स्टाफ तक नहीं है। पशु चिकित्सक से लेकर पशु धन सहायक व कम्पाउंडर तक संविदा पर लगे हुए हैं। जबकि गौशाला के लिए पशु चिकित्सक, सीनियर व जूनियर कम्पाउंडर व पशुधन सहाक के एक-एक पद स्वीकृत है। वर्तमान में ये सभी पद रिक्त हैं। इन पर काफी समय से नई भर्ती तक नहीं की गई है।

यह है वर्तमान स्थिति

नगर निगम की गौशाला में जहां करीब 32 सौ से अधिक पशु हैं। उनमें अधिकतर बीमार भी हैं। उनकी देखभाल संविदा कर्मी व सेवानिवृत्त चिकित्सकों से काम लिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार गौशाला में वर्तमान में एक रिटायर्ड चिकित्सक लगे हुए थे। लेकिन उनका कार्यकाल भी पूरा हो गया है। जिससे यह पद भी रिक्त है। वहीं एक पशु धन सहायक व 5 कम्पाउंडर संवेदक के माध्यम से गौशाला में और 5 पशु धन सहायक किशोरपुरा स्थित कायन हाउस में लगे हुए हैं।

गौशाला में पशुओं की संख्या बढ़ने पर उन सभी को अलग-अलग बाड़ों में रखा जा रहा है। स्वस्थ को अलग, बेीमार को अलग, नि:शक्त को अलग और नंदी व छोटे बछड़ों को अलग बाड़ों में रखा जा रहा है। पशुओं की देखभाल व उपचार के लिए स्थायी स्टाफ नहीं है। लेकिन संवेदक के माध्यम से पशु धन सहायक व कम्पाउंडर लगाए हुए हैं। संविदा पर कार्यरत रिटायर्ड उप निदेशक का कार्यकाल पूरा हो गया है। उसकी व्यवस्था के लिए अधिकारियों को पत्र लिखा हुआ है।

-दिनेश शर्मा, गौशाला प्रथारी, नगर निगम कोटा दक्षिण

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