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कोटा। शहर में एक ओर जहां बिजली की खपत बढ़ने के साथ ही उसकी प्रति यूनिट दर भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में बिजली के बिल का खर्चा वहन कर पाना अधिकतर लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है। इससे राहत पाने के लिए अब सोलर सिस्टम का उपयोग बढ़ने लगा है। नगर निगम द्वारा हर महीने एक से सवा लाख रुपए की बिजली सोलर सिस्टम से बनाई जा रही है। जिससे 6 साल में ही करीब 70 लाख से अधिक की लागत का सोलर सिस्टम फ्री हो गया है। प्रदेश में लगातार महंगी हो रही बिजली को देखते हुए अधिकतर लोग विशेष रूप से बड़े मकानों , व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और सरकारी कार्यालयों में भी सोलर सिस्टम लगाने को प्राथमिकता दी जा रही है। सरकार की ओर से भी सोलर सिस्टम लगाने पर सब्सीडी दी जा रही है। जिससे अधिक से अधिक लोग इस सिस्टम का उपयोग कर सके। नगर निगम का नया भवन बनने के बाद उसमें सोलर सिस्टम लगाया गया था। जिसका लाभ निगम को हर महीने लाखों रुपए की बिजली बनाने पर मिल रहा है।
दशहरा मैदान के पास नगर निगम का पूर्व में छोटा व पुराना भवन बना हुआ था। जिसे ध्वस्त कर उसकी जगह पर वर्ष 2012 में नया भवन बनाया गया। जिसे राजीव गांधी प्रशासनिक भवन नाम दिया गया। उस तीन मंजिला भवन में एबीसी तीन ब्लॉक बनाए गए हैं। जिनमें निगम के कार्यालय संचालित हो रहे हैं। भवन बनने के बाद उसमें संचालित होने वाले विभिन्न अनुभागों में जब दिनभर बिजली जलने लगी तो उसकी खपत अधिक हो गई। हालत यह थी कि निगम का हर महीने का बिजली का ही बिल करीब 2 से ढाई लाख रुपए महीना आने लगा। ऐेस में बिजली की खपत को कम करने के प्रयास के साथ ही बिजली उत्पादन कर इसके खर्च को भी कम करने पर विचार किया गया। जिसके तहत वर्ष 2016 में यहां सोलर सिस्टम लगाया गया।
नगर निगम द्वारा कार्यालय की छत पर करीब 100 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाया गया। जिसकी लागत उस समय में करीब एक करोड़ रुपए थी। लेकिन सरकार से सोलर सिस्टम लगाने पर करीब 30 से 33 फीसदी सब्सीडी दी गई थी। ऐसे में निगम को यह सिस्डम लगाने पर करीब 70 लाख का खर्चा करना पड़ा। सोलर सिस्टम लगने के बाद निगम का बिजली बिल पहले से करीब आधा हो गया। पहले जहां 2 से 2.50 लाख रुपए महीने का बिल आ रहा था वह वर्तमान में 1 से सवा लाख रुपए महीना आ रहा है। इस तरह से निगम द्वारा हर महीने करीब एक से सवा लाख रुपए की बिजली सोलर सिस्टम से बनाई जा रही है।
नगर निगम का भवन बना - साल 2012 में
उस समय बिजली का बिल था- करीब 2.50 लाख रुपए महीना
निगम में सोलर सिस्टम लगा - 2016 में
सोलर सिस्टम की लागत थी - 1 करोड़ रुपए
सरकार से सब्सीडी मिली - 33 फीसदी
निगम का सोलर सिस्टम पर हुआ खर्च- 70 लाख
सोलर सिस्टम से निगम रह महीने बना रहा बिजली- 1 लाख रुपए की
निगम में सोलर सिस्टम लगे हुए - 6 साल
निगम का सोलर सिस्टम बना चुका अब तक बिजली-70 लाख की
नगर निगम द्वारा वर्ष 2016 में सोलर सिस्टम लगाया गया था। जिस पर करीब 70 लाख रुपए खर्च हुए थे। हर महीने एक से सवा लाख रुपए की बिजली बनाई जा रही है। ऐसे में सोलर सिस्टम को लगे हुए करीब 6 साल हो गए हैं। हर साल 12 महीने के हिसाब से 6 साल में 72 महीने होते हैं। ऐसे में 2016 से 2022 तक 6 साल में निगम द्वारा लगाया गया सोलर सिस्टम फ्री हो गया है।
नगर निगम का नया भवन 2012 में बना था। उस समय से बिजली का बिल अधिक आने लगा। इसे देखते हुए सोलर सिस्टम लगाया गया। उस समय सब्सीडी के बाद करीब 70 लाख से अधिक की कीमत में सिस्टम लगा था। सिस्टम लगने के बाद से निगम में बिजली का बिल आधा रह गया है। इस तरह से सोलर सिस्टम से हर महीने करीब एक से सवा लाख रुपए की बिजली बनाई जा रही है। 6 साल में सिस्टम की लागत वसूल हो गई है। अब भविष्य में जितनी भी बिजली बनेगी वह निगम की बचत होगी।
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