निगम के पास दो एम्बुलेंस व दो ही कैटल वैन, कैटल वैन और एम्बुलेंस की कमी पड़ रही भारी
कोटा: एक तरफ तो शहर को कैटल फ्री बनाने का अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। वही दूसरी तरफ पशुओं को पकड़ने व उन्हें गौशाला तक पहुंचाने के वाहन कैटल वेन और घायल पशुओं के लिए एम्बूलेंस की कमी इस पर भारी पड़ रही है। दोनों की कमी से अभियान गति नहीं पकड़ पा रहा है। शहर में आवारा पशुओं के कारण होने वाले हादसों को देखते हुए शहर को कैटल फ्री बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है। शहर में सड़कों पर घूमने वाले पशुओं को पकड़कर उन्हें निगम के कायन हाउस व गौशाला में बंद किया जा रहा है। इस काम को नगर निगम व नगर विकास न्यास दोनों विभागों द्वारा किया जा रहा है। लेकिन इस काम में उपयोग आने वाले कैटल वाहन ही पर्याप्त नहीं हैं। नगर निगम के पास वर्तमान में मात्र दो कैटल वेन और दो ही पशु एम्बूलेंस हैं। इसके अलावा चार ट्रोले हैं। नगर निगम के इन वाहनों को निगम के अलावा नगर विकास न्यास द्वारा भी उपयोग में लिया जा रहा है। हालत यह है कि दिन के समय नगर विकास न्यास और रात के समय नगर निगम द्वारा पशुओं को घेरा डालकर पकड़ा जा रहा है।
कैटल वैन होने से पशु ले जाने में परेशानी: नगर निगम कोटा दक्षिण की गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह का कहना है कि निगम के पास मात्र दो ही कैटल वेन हैं। जिनमें एक बार में 20 से 25पशुओं को ही कायन हाउस से गौशाला पहुंचाया जा रहा है। एक दिन में दो से तीन चक्कर दोनों वेन लगाएं तब भी मात्र 70 से 80 पशुओं को ही गौशाला भेजा जा रहा है। जबकि शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत निगम व न्यास द्वारा बड़ी संख्या में पशुओं को पकड़कर कायन हाउस लाया जा रहा है।
एम्बुलेंस की कमी से घायलों के उपचार में परेशानी: नगर निगम के पास वर्तमान में दो ही पशु एम्बूलेंस हैं। ऐसे में शहर के विकास व विस्तार को देखते हुए एक -एक एम्बृूलेंस उत्तर दक्षिण निगम के हिसा से काम में ली जा रही है। शहर में एक साथ कई जगह से पशुओं के घाजल होने की सूचना पर समय पर एमबूलेंस तक नहीं पहुंच पाती है। जिससे घायल पशुओं को पशु चिकित्सालय तक पहुंचाने में भी समय अधिक लग रहा है। नगर निगम कोटा दक्षिण की गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह का कहना है कि निगम में दो एम्बूलेनस व दो कैटल वेन की और आवश्यकता है। इसके संबंध में अधिकारियोंको पूर्व में भी अवगत कराया जा चुका है।
कायन हाउस में क्षमतासे अधिक पशु: जितेन्द्र सिंह ने बताया कि ऐसे में कायन हाउस से गौशाला तक कम संख्या में पशु पहुंचाए जा रहे हैं। जिससे कायन हाउस में क्षमता से अधिक पशु हो रहे हैं। कायन हाउस में जगह कम होने से पशुओं को घूमने फिरने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में कायन हाउस में ढाई सौ से अधिक पशु हैं।
वाहनों की संख्या बढ़े तो हो सुविधा: सिंह ने बताया कि कैटल वेन की संख्या कम से कम दो गुनी होनी चाहिए। दो की जगह चार वेन हों तो अधिक पशुओं को गौशाला पहुंचाया जा सकेगा। इससे एक तो कम समय में अधिक संख्या में पशु गौशाला पहुंचेंगे। वहीं दूसरी तरफ कायन हाउस में भी सीमित संख्या में पशु रहने से परेशानी नहीं होगी।
ट्रोले शहर में और वैन गौशाला तक पशुओं के लिए: नगर निगम में जो ट्रोले हैं वे ट्रैक्टर में जोड़कर चलाए जा रहे हैं। उन ट्रोलों का उपयोग शहर की सड़कों से पशुओं को घेरा डालकर पकड़ने और उन पशुओं को किशोरपुरा स्थित कायन हाउस तक पहुंचाने में ही किया जा रहा है।
जबकि कैटल वैन का उपयोग किशोरपुरा स्थित कायन हाउस से पशुओं को बंधा धर्मपुरा स्थित निगम की गौशाला तक पहुंचाने में किया जा रहा है। चार ट्रोलों में तो पशु अधिक संख्या में पकड़कर कायन हाउस लाए जा रहे हैं जबकि कायन हाउस से गौशाला में पशु कम जा पा रहे हैं। कायन हाउस से गौशाला तक पशुओं को बंद वाहन में ही भेजा जाना अधिक सुरक्षित है। इसके लिए कैटल वेन की आवश्यकता है।
शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए जब नगर विकास न्यास इतना अधिक खर्चा कर रही है तो कैटल वेन और एम्बूलेस की संख्या बढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं है। निगम की जो एम्बूलेंस खराब है उसे नगर विकास न्यास द्वारा सही करवाने की सहति दे दी गई है। यदि आवश्यकता हुई तो वाहनों की संख्या बढ़ाई जाएगी। वैसे जो भी संसाधन हैं उनका पूरा उपयोग किया जा रहा है। शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए दिन में न्यास द्वारा और रात को निगम द्वारा पशुओं को पकड़ा जा रहा है।
-अम्बालाल मीणा, अतिरिक्त आयुक्त नगर निगम कोटा दक्षिण