प्रोजेक्ट में देरी के कारण चारभुजा-लोअर ओडेन हाईवे का निर्माण अटका हुआ
उदयपुर न्यूज़: भूमि अवाप्ति (थ्री जी अवार्ड) के बाद खातेदारों को मुआवजा भुगतान में हो रही लेटलतीफी ने चारभुजा-केलवाड़ा-लोसिंग-हल्दी घाटी-निचली ओड़न (एनएच 162ई- पैकेज 1) हाईवे के भविष्य पर संकट खड़ा कर दिया है। प्रशासनिक जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते सवा साल पहले मंजूर इस हाईवे पर अब तक कोई निर्माण शुरू नहीं हो पाया है।
भुगतान वाले मामलों में केंद्र सरकार के भूमि पोर्टल से खातेदारों को भुगतान किया जा रहा है। सड़क निर्माण में सबसे ज्यादा निजी खातेदारी की 196 जमीन हैक्टेयर राजसमंद क्षेत्र की है। यहां तो एक फीसदी भी भुगतान नहीं हो पाया है। इसके बाद दूसरे सबसे बड़े क्षेत्र बड़गांव में 48 हैक्टेयर के बदले महज एक फीसदी ही भुगतान हो पाया है।
गोगुंदा में जरूर 51 फीसदी तक मुआवजा बांट दिया गया है, लेकिन यहां जमीन का क्षेत्रफल ही महज 12.65 हैक्टेयर है। अवाप्ति का समय पर भुगतान दिलाने के लिए अधिकारी-कर्मचारी नियुक्त हैं, जिन पर करीब 3 लाख रुपए मासिक खर्च हो रहे हैं।
हाईवे के काम में देरी नेशनल हाइवे की जगह निजी जमीनों के भुगतान को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों (भूमि अवाप्ति अधिकारी) की ओर से हो रही है। राजसमंद एडीएम और बड़गांव भूमि अवाप्ति अधिकारी बीते 10 माह में एक फीसदी मुआवजा राशि का भुगतान भी नहीं करा पाए हैं।