राजस्थान

नहीं चलेगा सीएम गहलोत का ओल्ड पेंशन स्कीम को पुनः लागू करने का दाव

Admin4
1 Dec 2022 1:44 PM GMT
नहीं चलेगा सीएम गहलोत का ओल्ड पेंशन स्कीम को पुनः लागू करने का दाव
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जयपुर। जिन राज्यों कांग्रेस या कांग्रेस के समर्थन से बनी हुई सरकार हैं उस राज्य में पुरानी पेंशन स्कीम को वापिस लागू कर दिया गया है। इसके अलावा पंजाब जहा भगवंत मान वाली आम आदमी पार्टी की सरकार हैं वहां भी पुरानी स्कीम को लागू कर दिया गया हैं। झारखंड और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने ओल्ड पेंशन स्कीम को पुनः स्तपित कर दिया हैं l सीएम अशोक गहलोत ने भी यही करने की कोशिश करी थी जिससे उनका विधानसभा चुनाव से पहले का यह दाव एक मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा था, लेकिन नीति आयोग ने इसपर चिंता जता कर मास्टर स्ट्रोक माने जाने वाले दाव को फीका कर दिया।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने इस स्कीम को पुनः लागू करने को लेकर चिंता जताते हुए कहा हैं कि, यह आने वाले भविष्य के करदाताओं के लिए बोझ बन सकता हैं। उनका कहना है कि, इस स्कीम को लागू करने के बाद सरकार पर 41000 करोड़ का दबाव आएगा। उनका मानना है कि, राज्य सरकारों के पास इतना पैसा ही नही हैं की वह खुद इस स्कीम के पैसों का भुगतान कर सके जिसकी वजह से सारा भार केंद्र सरकार पर ही आएगा। आम नागरिकों के शिक्षा, चिकित्सा, पानी, पेट्रोल, परिवहन, बिजली आदि की योजनाओं से कटौती करनी होगी।
उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने राजीतिक दलों पर निशाना साधते हुए कहा हैं कि, राज्यों को यह वित्तीय अनुशासनहीनता की छूट नहीं दी जानी चाहिए और पार्टियों को ये भी समझना चाहिए कि, वह बिना प्लानिंग के चुनाव प्रचार में कोई भी ऐसे वायदे न करे। बेरी ने आगे कहा की राज्य और केंद्र सरकारें वित्त जैसे मुद्दों और जो स्कीम संसद में कानून पर दोनो राज्य और केंद्र सरकारें साथ बैठ कर समीक्षा करे, बिना सोचे कोई भी चुनाव में वित्तीय वादा न करे।
अशोक गहलोत ने मार्च 2022 में विधानसभा के बजट सत्र में इस स्कीम को पुनः स्थापित करने का ऐलान किया था। इस स्कीम से 7 लाख कर्मचारियो को लाभ पहुंचने वाला था। पेंशनर्स इस ऐलान से खुश थे लेकिन नीति आयोग ने उनकी खुशी में पानी फेर दिया हैं। ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग बहुत टाइम से चल रही है क्योंकि नई स्कीम में कर्मचारियों को अगर पेंशन चाहिए तो उसका वित्तीय भार उन्हे खुद उठाना पड़ता हैं वहींओल्ड पेंशन स्कीम के तहत रिटायर होने के बाद कर्मचारियों को हर महीने पेंशन की राशि सीधा बैंक अकाउंट में पहुंचा दी जाती थी।
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