राजस्थान
CM गहलोत बोले- राज्य में होगी जातिगत जनगणना; बिहार की तरह करवाएंगे यह काम, SC ने नहीं लगाई रोक
Tara Tandi
7 Oct 2023 9:10 AM GMT
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सीएम गहलोत ने राजस्थान में भी जातिगत जनगणना करवाने की बात को फिर से दोहराया है। लेकिन इसका कोई तय समय नहीं बताया है। सीएम ने कहा कि राज्य में जातिगत जनगणना होगी और हम बिहार पैटर्न पर यह काम करवाएंगे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उस पर रोक नहीं लगाई है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राजस्थान में भी बिहार पैटर्न पर जातिगत योजना जनगणना करवाई जाएगी। शुक्रवार को कांग्रेस की कोर कमेटी की पीसीसी के वॉर रूम में लंबी बैठक हुई थी। उसके बाद मीडिया से बातचीत में सीएम ने कहा कि राहुल गांधी ने जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी की बात कही है। जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में कराई गई जाति जनगणना को रोका नहीं है, अब सरकार यहां भी जातिगत जनगणना के आदेश जारी करेगी। इस बारे में संविधान की भावना और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी ध्यान में रखा जाएगा।
‘उपराष्ट्रपति पद पर बैठे व्यक्ति को पद की मर्यादा रखनी चाहिए’
वहीं, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि उपराष्ट्रपति पद पर बैठे व्यक्ति को पद की मर्यादा रखनी चाहिए। अभी अगर उपराष्ट्रपति लगातार दौरे करेंगे तो गलत संदेश जाएगा। डोटासरा ने कहा कि ईआरसीपी मुद्दे पर रविवार को 13 जिलों के कार्यकर्ताओं की बैठक होगी।
CM अशोक गहलोत ने राजा बलि, वाल्मीकि, मेघवाल, पुजारी, केवट, जाटव, धानका और चित्रगुप्त नाम से बनाए कल्याण बोर्ड
चुनाव आचार संहिता लगने से पहले सीएम गहलोत ने विभिन्न समाजों को साधते हुए आठ और बोर्ड गठित कर दिए हैं। राजा बलि, वाल्मीकि, मेघवाल, पुजारी, केवट, जाटव, धानका, चित्रगुप्त नाम से कल्याण बोर्ड बनाए गए हैं। राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि सरकार समाज के विभिन्न वर्गां के कल्याण और उत्थान के लिए समर्पित है। इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आठ विभिन्न बोर्ड के गठन को स्वीकृति दी है।
इन नवगठित बोर्ड में राजस्थान राज्य राजा बली कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य वाल्मीकि कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य मेघवाल कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य पुजारी कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य केवट कल्याण (मां पूरी बाई कीर) बोर्ड, राजस्थान राज्य जाटव कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य धानका कल्याण बोर्ड और राजस्थान राज्य चित्रगुप्त कायस्थ कल्याण बोर्ड शामिल हैं। सभी बोर्ड संबंधित वर्गों की स्थिति का जायजा लेने, प्रमाणिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वर्गों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने और इनके पिछड़ेपन को दूर करने के सुझाव राज्य सरकार को देंगे।
इन बोर्ड द्वारा संबंधित वर्ग के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएं प्रस्तावित करने, उनके लिए वर्तमान में संचालित विभिन्न योजनाओं के संबंध में विभिन्न विभागों से समन्वय करने, परंपरागत व्यवसाय को वर्तमान तौर-तरीकों से आगे बढ़ाने, रोजगार को बढ़ावा देने, शैक्षिक और आर्थिक उन्नयन के संबंध में सुझाव दिए जाएंगे। साथ ही, सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों के खिलाफ ठोस उपाय करने सहित अन्य सुझाव भी राज्य सरकार को प्रस्तुत किए जाएंगे।
इस सभी बोर्ड में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन सदस्य सहित पांच-पांच गैर-सरकारी सदस्य होंगे। राज्य के विभिन्न विभागों के शासन सचिव, आयुक्त, निदेशक, संयुक्त निदेशक, उप निदेशक स्तर के अधिकारी सरकारी सदस्य होंगे। इसके अतिरिक्त राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति और जनजाति वित्त व विकास सहकारी निगम लिमिटेड या राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त और विकास सहकारी निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक स्तर के अधिकारी या उनका प्रतिनिधि विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।
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