राजस्थान

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन पर CM गहलोत-पायलट ने जताया दुख

Deepa Sahu
31 March 2022 9:13 AM GMT
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन पर CM गहलोत-पायलट ने जताया दुख
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन पर गहरा दुख जताया है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन पर गहरा दुख जताया है। सीएम गहलोत ने ट्वीट कर लिखा- कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला जी के निधन का समाचार बेहद दुखद है। गुर्जर आरक्षण आंदोलन के मुखिया के रूप में बैंसला साहब ने MBC वर्ग के आरक्षण के लिए लंबा संघर्ष किया। MBC वर्ग को आज आरक्षण मिल पाया है तो अगर किसी एक व्यक्ति को श्रेय जाता है तो वह कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ही हैं। उल्लेखनीय है कि कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का आज राजधानी जयपुर में निधन हो गया था। वे 84 साल के थे। काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बैंसला का अंतिम संस्कार आज टोडाभीम स्थित उनके पैतृक गांव मुंडिया में किया जाएगा।


पायलट ने जताया गहरा दुख

राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन पर गहरा दुख जताया है। सचिन पायलट ने ट्वीट कर लिखा- कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला जी के निधन का दुखद समाचार सुनकर मन व्यथित हो गया है। इस कठिन समय में मेरी गहरी संवेदनाएं शोकाकुल परिजनों के साथ है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। परिजनों को यह आघात सहन करने की शक्ति प्रदान करें। इसी प्रकार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने गुर्जर आंदोलन के अगुवा कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन पर गहरा दुख जताया है। भाजपा के राज्यसभा सासंद किरोड़ी लाल मीणा ने भी कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन पर गहरा दुख जताया है।

कर्नल बैंसला का 84 साल में हुआ निधन

उल्लेखनीय है कि कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला काफी समय से बीमार चल रहे थे। इसकी वजह से हाल ही में उन्होंने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की कमान अपने बेटे विजय बैंसला को सौंप दी थी। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में हुए राजस्थान में हुए गुर्जर आरक्षण ने देश को हिला कर रख दिया था। आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर करीब एक महीने तक रेल की पटरियों पर बैठे रहे थे। संपूर्ण उत्तर भारत रेल सेवा से कट गया था। गुर्जर आंदोलन में 70 से अधिक लोग मारे गए थे। गुर्जरों को एसटी में शामिल करने की मांग को लेकर उस समय की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को चुनौती का सामना करना पड़ा। गुर्जर आंदोलन के बाद हुए विधानसभा चुनावों में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजप सरकार को हार का सामना करना पड़ा था।
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