राजस्थान

Churu : कातरा लट पर नियंत्रण के लिए कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी

Tara Tandi
18 July 2024 2:01 PM GMT
Churu : कातरा लट पर नियंत्रण के लिए कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी
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Churu चूरू । खरीफ की फसल में कातरे के प्रकोप की आशंका को देखते हुए कृषि विभाग की ओर से एडवायजरी जारी की गई है।
संयुक्त निदेशक (कृषि, विस्तार) डॉ जगदेव सिंह ने बताया कि खरीफ की फसलों में खासतौर से बाजरा व दलहनी फसलों में कातरे का प्रकोप होता है। इस कीट की लट वाली अवस्था नुकसान करती है। सामान्यतया मानसून की पहली बरसात के समय इसके प्रौढ़ कीट (मोथ/पतंगा) जमीन से निकलते हैं तथा प्रत्येक मादा कीट द्वारा अलग-अलग समूह में 600-700 अंडे फसल या खरपतवार के पत्ते की निचली सतह पर दिए जाते हैं। इन अंडों से 2-3 दिवस में छोटी-छोटी लटें निकलती हैं जो कि 40-50 दिन तक फसलों को नुकसान पहुंचाती है। इस लट को ही आमतौर पर कातरा कहा जाता हैं। लट अपनी पूर्ण अवस्था प्राप्त करने के बाद जमीन में प्यूपा अवस्था में सुषुप्तावस्था में चली जाती है जो कि आगामी वर्ष की बरसात में पुनः प्रौढ़ कीट के रूप में मानसून के समय निकलती है।
मानसून की वर्षा होते ही कातरे के पतंगों का जमीन से निकलना शुरू हो जाता है। इन पतंगों को नष्ट कर दिया जाये तो फसलों में कातरे की लट का प्रकोप बहुत कम हो जाता है, इसकी रोकथाम प्रकाश पाश क्रिया से संभव है। पतंगों को प्रकाश की ओर आकर्षित करें। खेत की मेड़ों, चारागाहों व खेतों में गैस, लालटेन या बिजली का बल्ब जलायें (जहां बिजली की सुविधा हो) तथा इनके नीचे कीटनाशक मिले पानी की परात रखें ताकि रोशनी पर आकर्षित होकर एवं जलकर कीट नष्ट हो जायें।
खेतों के पास उगे जंगली पौधे एवं जहां फसल उगी हो, वहां पर अंडों से निकली लटों पर इसकी प्रथम व द्वितीय अवस्था में क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण का 6 किलो प्रति बीघा की दर से भुरकाव करें। बंजर जमीन चरागाह में उगे जंगली पौधों से खेतों पर कातरे की लट के आगमन को रोकने के लिए खेत के चारों तरफ खाई खोदें एवं खाइयों क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत में चूर्ण भुरक दीजिये ताकि खाई में गिरकर आने वाली लटे नष्ट हो जायें ।
क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 6 किलो का प्रति बीघा भुरकाव करें। जहां पानी की सुविधा हो वहां क्यूनालफॉस 25 ई.सी 250 मि.ली. प्रति बीघा छिड़काव करें।
उन्होंने बताया कि जिले में कातरा कीट के प्रकोप की संभावना को देखते हुए सभी विभागीय अधिकारियों, कार्मिकों को लगातार खेतों का सर्वे व मॉनिटरिंग करते हुए इसके प्रभावी नियंत्रण की तकनीकी जानकारी कृषकों को मौके पर जाकर, कृषक गोष्ठियों तथा व्हाट्सएप व अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से सही व सटीक जानकारी देने हेतु निर्देशित किया गया है।
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