राजस्थान
Chittorgarh: तीन दिवसीय चित्तौड़गढ़ साहित्य उत्सव -2025 का आगाज
Tara Tandi
17 Jan 2025 5:56 AM GMT
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Chittorgarh चित्तौडगढ़ । सहकारिता राज्य मंत्री गौतम दक ने कहा है कि साहित्यकार हमारी कला ,साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षक हैं , वे हमारे जीवन को परिष्कृत करते हैं। साहित्य उत्सव जैसे आयोजन से समाज में साहित्य और संस्कृति के प्रति चेतना जागृत होती है ।
राज्य मंत्री गौतम दक गुरुवार को यहाँ स्काउट एवं गाइड मुख्यालय में यूथ मूवमेंट राजस्थान के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय चित्तौडगढ़ साहित्य उत्सव-2025 के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे सहकारिता मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार साहित्यिक एवं सांस्क्रतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के साथ ही साहित्यकारों के सम्मान,एवं भाषा साहित्य एवं संस्कृति के विकास में अपना हर संभव सहयोग करेगी । उन्होंने कहा कि जिस प्रकार अनिल सक्सेना ,शांति सक्सेना और यूथ मूमेंट राजस्थान के संस्थापक शास्वत सक्सेना ने पिछले साल से साहित्य समारोह के आयोजन किये हैं उसी तरह सभी जिला स्तर पर ऐसे साहित्यिक आयोजन किये जाने चाहिए। उसमे हमारा सदैव सहयोग रहेगा।
चित्तौड़गढ़ के विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने कहा कि उन्होंने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने और 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए समय-समय पर आवाज़ उठाई है और राजस्थानी भाषा में विधानसभा में शपथ का प्रावधान करने के लिए 120 विधायकों का समर्थन पत्र विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा है । उन्होंने विश्वास दिलाया कि विकास के साथ-साथ संत समागम ,खेल महोत्सव,पर्यटन महोत्सव की भाँति भाषा और संस्कृति के लिए भी प्रयास करेंगे।
जिला कलक्टर आलोक रंजन ने विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि भाषा अभिवयक्ति का माध्यम है | हमें अपनी भाषा से सदैव जुडाव रखना चाहिए | हम ओपन शोर्स सोसायटी में जी रहे हैं अतः हमें ये विचार करना चाहिए कि डेटाबेस को कैसे समृद्ध कर सकें | उन्होंने कहा कि अपनी अभिवयक्ति अपनी मौलिक भाषा में ही सशक्त हो सकती है लेकिन हमें दूसरी भाषाओँ से भी परहेज़ नहीं करना चाहिए | उन्होंने मीरा और कुम्भा के उदाहरण देते हुए कहा कि उनका साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।
प्रतिष्ठित साहित्यकार पद्मश्री डॉ.सी.पी.देवल ने कहा कि राजस्थानी के बिना राजस्थान की अस्मिता बची हुई नहीं रह सकती| पिछले 500 वर्षो पहले से राजस्थानी भाषा में समृद्ध साहित्य रचा गया और आज 100 से अधिक राजस्थानी लेखक लिख रहें हैं और हरसाल 80से अधिक पुस्तकें राजस्थानी भाषा में प्रकाशित हो रहीं है और अनुवाद भी हो रहे हैं।
साहित्य समारोह के संयोजक और वरिष्ठ लेखक अनिल सक्सेना ने देश और प्रदेश से आये हुए साहित्यकारों का स्वागत करते हुए कहा कि वे पिछले 14 वर्षो से राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर साहित्यिक संवर्धन के लिए निरंतर साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन करते रहे हैं। पिछले साल से चित्तौडगढ़ में वृहद् स्तर पर साहित्य महोत्सव का आयोजन शुरू किया गया। इस बार समारोह में राज्य सरकार और उसकी सभी अकादमियों की ओर से पुस्तक प्रदर्शनी लगायी गयी है। उन्होंने उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी की ओर से सहयोग करने एवं जिला कलक्टर आलोक रंजन के सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। यूथ मूवमेंट के संस्थापक अध्यक्ष शाश्वत सक्सेना ने आभार प्रकट किया।
महोत्सव के दौरान आज पांच सत्र हुए । इनमे प्रमुख रूप से पद्मश्री डॉ.सी.पी.देवल,नन्द भारद्वाज,फारुक आफरीदी,विनोद भारद्वाज ने राजस्थान में साहित्य की परम्परा पर अपने विचार रखे । विश्व हिंदी परिषद् के महसचिव डॉ.विपिन कुमार और डी.पी.मिश्र के साथ ही गिरीश पंकज और कैलाश कबीर ने हिंदी की वर्तमान स्थिति और राष्ट्र भाष की चुनौतियां विषय पर अपने विचार व्यक्त किये। सुपरिचित साहित्यकार कृष्ण कल्पित के चर्चित पुस्तक हिन्दनामा पर जाने-माने लेखक विनोद भारद्वाज ने संवाद किया डॉ.अवधेश कुमार जौहरी ने संचालन किया।अंतिम सत्र में प्रसिद्ध कथाकार ,उपन्यासकार प्रबोध गोविल के साथ साक्षात्कार किया गया।
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