राजस्थान

पांच रुपए में जांच रहे मिट्टी की सेहत, खेतों में उत्पादन बढ़ाने के लिए आती है काम

Admin Delhi 1
14 Jan 2023 12:57 PM GMT
पांच रुपए में जांच रहे मिट्टी की सेहत, खेतों में उत्पादन बढ़ाने के लिए आती है काम
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कोटा: प्रदेश में पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि विभाग की ओर से अनेक योजनाओं संचालित की जा रही है। वहीं उत्पादन बढ़ाने के लिए मिट्टी की जांच को अहम माना जाता है। ऐसे में पांच रुपए के शुल्क पर किसान अपने खेत की सेहत की जांच करवा कर रहे हैं। अब किसानों का इस सम्बंध में दिनोंदिन रुझान बढ़ता ही जा रहा है। इस साल कोटा जिले में कृषि विभाग ने खेत की मिट्टी के 7783 नमूनों की जांच की। इसके बाद किसानों को उत्पादकता के हिसाब से खेतों में फसल की बुवाई की है। जिले में इस साल करीब तीन लाख से अधिक हैक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई की गई है। इनमें से जिले में सबसे ज्यादा रकबा गेहंू का है। यहां पर करीब 1 लाख 80 हजार हैक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है। इसके बाद सरसों व अन्य फसलों की बुवाई की गई है। फसलों में सिंचाई के दौरान किसान अंधाधुंध यूरिया खाद और कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। इस कारण खेतों की सेहत खराब हो जाती है और हर साल उत्पादन क्षमता घटने लगती है। इस कारण खेतों की मिट्टी की जांच के लिए कृषि विभाग ने मृदा परीक्षण लैब खोल रखी है। जिले में दो मृदा परीक्षण लैब हैं, जिनमें पांच रुपए का शुल्क देकर मिट्टी की जांच करवाई जा सकती है।

अब किसानों का बढ़ने लगा रुझान: कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बुवाई से पहले मिट्टी की जांच करवाने से किसानों को काफी फायदा होता है। जांच के बाद खेत की उपजाऊ क्षमता के बारे में जानकारी मिल जाती है। वहीं किसानों को यह भी पता चल जाता है कि उनकी कृषि भूमि में किस पोषक तत्व की कमी है। इसके अलावा जांच रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया जाता है कि बुवाई के बाद किसानों को फसल में कितनी मात्रा में यूरिया खाद का उपयोग करना चाहिए। इससे यूरिया खाद के अधिकाधिक उपयोग से बचा जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल केवल 400 नमूने ही जांच के लिए आए थे। इस साल किसानों का रुझान बढ़ा है और अब तक 7783 नमूनों की जांच हो चुकी है। इसकी रिपोर्ट भी किसानों को सौंप दी है।

नाइट्रोजन की घट रही मात्रा: कृषि सुपरवाइजर की ओर से उपलब्ध करवाए गए जा रहे नमूनों की जांच रिपोर्ट के अनुसार कोटा जिले की भूमि में नाइट्रोजन एवं जैविक कार्बन की मात्रा घट रही है। ऐसे में उत्पादन की गुणवत्ता भी गिर रही है। साथ ही जिन स्थानों पर टयूबवैल से सिंचाई की जा रही है, वहां के पानी में भी फ्लोराइड की मात्रा बढ़ रही है, ऐसे में सिंचाई का पानी सोखने के बाद भूमि पर खार नजर आने लगा है।

घट रहा जैविक खाद का उपयोग: जिले में जैविक खाद का उपयोग भी घट रहा है। ऐसे में कृषि भूमि में सूक्ष्म पौषक तत्वों की कमी अनवरत रूप से जारी है। जबकि रासायनिक खाद की अपेक्षा जैविक खाद सस्ता व सुलभ रूप से उपलब्ध हो जाता है। इसके बावजूद किसान जैविक खाद के बजाय रासायनिक खाद का उपयोग अधिक करते हैं। इससे खेतों की सेहत निरन्तर बिगड़ती चली जाती है और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।

बुवाई से पहले मिट्टी की जांच करवाने के लिए किसानों को समय-समय पर जागरूक किया जाता है। मिट्टी जांच के फायदे बताकर किसानों को प्रेरित करते हैं। अब इस सम्बंध में किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है। इस साल 7 हजार से अधिक नमूनों की जांच की गई है।

-खेमराज शर्मा, संयुक्त निदेशक कृषि विभाग कोटा

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