राजस्थान

Sankashti Chaturthi के दिन इन चमत्कारी मंत्रों का करें जाप

Tara Tandi
24 July 2024 10:46 AM GMT
Sankashti Chaturthi के दिन इन चमत्कारी मंत्रों का करें जाप
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Sankashti Chaturthi ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन गजानन संकष्टी चतुर्थी को बहुत ही खास माना जाता है जो कि हर माह में आती है यह तिथि गणपति की साधना को समर्पित होती है इस दिन भक्त भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं कहा जाता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है
हिंदू पंचांग के अनुसार गजानन
संकष्टी चतुर्थी का पर्व आज यानी 24 जुलाई दिन बुधवार को मनाया जा रहा है। सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा का विधान है माना जाता है कि इस दिन पूजा पाठ के दौरान अगर भगवान गणेश के चमत्कारी मंत्रों का जाप किया जाए तो जीवन की बाधाएं और संकट दूर हो जाते हैं और गणपति की कृपा हमेशा बनी रहती है।
भगवान गणेश के मंत्र
1. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।
3. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
4. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
5. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥
7. गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।
8. 'गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
9. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।
10. विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
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