चंबल का प्रदूषण बजा रहा खतरे की घंटी, संकट में पड़ी जलीय जीवों की सांसें
कोटा न्यूज़: राजस्थान और मध्यप्रदेश के लिए जीवनदायिनी चंबल नदी में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पानी में जी रहे जीवों की सांसों पर संकट बना हुआ है। चंबल नदी में जलीय जीवों की भरमार हैं। पूर्व में चंबल का स्वच्छ पानी जलीय जीवों के लिए संजीवनी का काम कर रहा था। अब पानी में बढ़ती प्रदूषण की मात्रा इनके लिए दुखदायी बनती जा रही है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की ओर से अभी हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार चंबल के पानी में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में इसमें हुई वृद्धि अब खतरे का संकेत दे रही है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की रिपोर्ट में चम्बल नदी को प्रदूषित माना है। बीते वर्षों के मुकाबले में प्रदूषण का ग्राफ बढ़ा है। ऐसे में चम्बल में बढ़ता जलीय प्रदूषण चम्बल अभयारण्य के घड़ियाल, मगरमच्छ व अन्य दुर्लभ जलीय जीवों के लिए खतरे की घंटी है। चम्बल के पानी में प्रदूषण जलीय जीवों के लिए काफी चिंताजनक है।
इन जलीय जीवों की भरमार: चंबल नदी कोटा शहर के लोगों के साथ जीवों के लिए भी संजीवनी का कार्य कर रही है। यहां पर घड़ियाल, मगरमच्छ, डाल्फिन और कछुओं की भरमार है। पानी की उपलब्धता भरपूर होने के कारण इन जलीय जीवों का कुनबा तेजी से बढ़ा है। इनके अलावा सर्दी के मौसम में चंबल का रूख करने वाले प्रवासी पक्षियों की तादात में भी बढ़ोतरी होती जा रही है। यहां पर इंडियन स्कीमर, रिवर टर्न, ब्लैक बेलीड जैसे पक्षियों ने भी चंबल नदी को अपना आशियाना बना रखा है। यदि चंबल नदी में प्रदूषण की यह रफ्तार रही तो आगामी दिनों में इन जलीय जीवों के जीवन पर संकट आ सकता है।
देशभर की 351 नदियां प्रदूषित: एक रिपोर्ट के अनुसार चंबल नदी में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है. चंबल नदी में बढ़ता प्रदूषण सेंचुरी के घड़ियाल, मगरमच्छ व अन्य दुर्लभ जलीय जीवों के लिए खतरा साबित हो सकता है। गत दिनों ही केन्द्रीय प्रदूषण मंडल ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें देश भर की नदियों के जल के सैंपल के जांच किए गए थे। नदियों के जल में प्रदूषण के स्तर की जांच के आधार पर आंकड़े जारी किए गए थे। इसमें देश भर की 351 नदियों में प्रदूषण का स्तर अधिक पाया गया था। इनमें चंबल नदी को भी शामिल किया गया है।
22 ड्रेन किए गए थे चिन्हित: कोटा में चंबल में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में यदि जल्द ही प्रदूषण को कम करने की दिशा में काम नहीं किया गया तो जिले में भी हालात खराब हो सकते है। रिपोर्ट में कोटा में 22 और केशोरायपाटन में छह अत्यधिक प्रदूषित ड्रेन चिन्हित किए गए हैं। इनकी नियमित रूप से राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा जांच की जा रही है। कोटा शहर के नालों का गंदा पानी चंबल में समाहित होने के कारण पानी में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती जा रही है। हालांकि इस समय शहर में सीवरेज लाइन डालने का कार्य प्रगति पर है। यह कार्य पूरा होने के कारण प्रदूषण में कमी होने की उम्मीद है।
ये है प्रदूषण की स्थिति: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने प्रदूषण नियंत्रक मण्डल को चंबल नदी के पानी का प्रदूषण जांचने के आदेश दिए थे। इसके बाद वर्ष 2018 में चम्बल नदी के पानी के नमूने संकलित किए गए थे। उस समय कोटा की चम्बल नदी में बॉयो केमिकल आॅक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर 5.5 सामने आया था। इसके बाद वर्ष 2019 में भी पानी के नमूने लिए गए थे। इन नमूनों की जांच करने पर पता चला कि बीओडी का आंकड़ा 5.75 तक पहुंच गया है। अब नई रिपोर्ट में वर्तमान में कोटा में चंबल के पानी में बीओडी का स्तर 6 से अधिक पाया गया। साथ ही कोटा और मध्य प्रदेश की चंबल नदी में डीओ यानी घुलित आॅक्सीजन की मात्रा में भी इजाफा हो रहा है। उल्लेखनीय है कि एक लीटर पानी में बीओडी की मात्रा 3 मिलीग्राम से कम होने पर उसे सुरक्षित माना जाता है। इससे जाहिर है कि कोटा में चंबल के पानी में प्रदूषण की स्थिति बढ़ रही है।
फैक्ट फाइल:
ऐसे बढ़ा प्रदूषण का ग्राफ
- वर्ष 2018-5.5 बीओडी
- वर्ष 2019-5.75 बीओडी
- वर्ष 2022-6.00 बीओडी
इनका कहना है:
पूर्व में जांच के लिए चम्बल नदी के सैंपल लिए गए थे। पिछले वर्षों के मुकाबले चंबल नदी के प्रदूषण में लगातार इजाफा हो रहा है। पानी में प्रदूषण की मात्रा बढ़ना चिंताजनक है।
- अनुराग कुमार, पर्यावरण अभियंता प्रदूषण नियंत्रण मंडल