केन्द्र सरकार ने जारी किया आदेश: 15 साल पुराने सरकारी वाहनों का होगा रजिस्ट्रेशन कैंसल
कोटा: तू डाल-डाल मैं पात-पात वाली कहावत केन्द्र सरकार के आदेश के बाद कोटा जिले में डीजल से संचालित व्यवसायिक वाहनों के मालिकों ने बिल्कुल सही साबित किया है। दरअसल करीब एक साल पहले केन्द्र सरकार ने राज्य के कोटा, जयुपर, उदयपुर, भरतपुर, अलवर और जोधपुर स्मार्ट सिटी या जिलों में 15 साल पुराने डीजल से संचालित व्यवसायिक वाहनों का 1 अप्रैल 2023 पंजीयन रद्द करने के आदेश जारी किए थे। उसके बाद समझदार वाहन मालिकों ने कोटा के ही आसपास के जिलो बूंदी, बारां तथा झालावाड़ के परिवहन कार्यालय में जाकर अपने पंजीयन करवा लिया और अब जिले में सिर्फ 250 से 300 भारी व्यवसायिक वाहन जैसे ट्रक, टेÑलर और बस ही ऐसे बचे हैं जो 15 साल पुराने हैं। और विभाग में पंजीकृत है। वहीं हाल में केन्द्र सरकार की ओर से जारी एक आदेश के बाद जिले के सरकारी कार्यालयों में डीजल से संचालित होने वाले लगभग 600 वाहनों का पंजीयन भी रद्द हो जाएगा। गौरतलब है कि कुछ दिनों पूर्व की सरकार की ओर आदेश जारी किए गए थे कि सरकारी विभागों में डीजल से संचालित होने वाले वे सभी वाहन जो 15 साल पुराने हैं उनका पंजीयन रद्द हो जाएगा। जिन्होंने पूर्व में भी पंजीयन करवा लिया है उनका पंजीयन भी रद्द माना जाएगा।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोटा जिले के सरकारी कार्यालयों में डीजल से चलने वाले सभी वाहनों का लेखा-जोखा कलक्टर कार्यालय में है। विभागीय सूत्रों की माने तो इस समय कोटा जिले में डीजल से संचालित होने वाले वाहन जैसे ट्रक, ट्रेलर, बस आदि लगभग 15000 वाहन पंजीकृत हैं। इनमें 15 साल से ज्यादा और उससे कम समयावधि वाले सभी प्रकार के वाहन शामिल हैं। जानकारी में आया है कि जिले में लगभग 2600 भार वाहन हैं। इनमें से कई वाहन मालिकों ने टैक्स जमा करवाने की तय तिथि 15 मार्च तक टैक्स जमा नहीं करवाया है। अगर इन वाहन मालिकों ने 31 मार्च तक विभाग में टैक्स जमा नहीं करवाया तो इन मालिकों से टैक्स की 3 प्रतिशत पैनेल्टी तथा 5 हजार जुर्माना वसूला जाएगा। गौरतलब है कि स्मार्ट कार्ड बनाने की पैंडेंसी दुरुस्त नहीं होने कारण अभी भी जिले की सड़कों पर लगभग 3 हजार से अधिक वाहन बिना स्मार्ट कार्ड आरसी के दौड़ रहे हैं।
गौतरलब है कि आरसी एक ऐसा दस्तावेज है जो यह सत्यापित करता है कि वाहन देश के किस क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में पंजीकृत है। ज्ञातव्य है कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 के अनुसार, सभी वाहनों को सार्वजनिक स्थान और किसी भी जगह चलाने के लिए, पंजीकरण प्रमाणपत्र होने के साथ साथ वाहन पर ही पंजीकरण का निशान होना आवश्यक है। अधिनियम के इस अनुच्छेद का पालन करने में विफलता के परिणामस्वरूप मालिक को उसी कानून के तहत दंडित किया जा सकता है। प्रमाणपत्र शुरू में 15 साल की अवधि के लिए वैध होता है, जिसके बाद इसे हर 5 साल में समय-समय पर नवीनीकृत किया जाना चाहिए. कई वर्षों तक, पंजीकरण प्रमाणपत्र या आरसी पुस्तक दस्तावेजों का एक सेट होता था, हालांकि, अब उन्हें स्मार्ट कार्ड के रूप में भी जारी किया जा सकता है जिसमें या तो अंतर्निहित चिप्स (कार्ड के अंदर डाली गई चिप) या एक कोड होता है जिसे वाहन और उसके मालिक की की जानकारी तक पहुंचने के लिए स्कैन किया जा सकता है।
इनका कहना है
आगे से स्मार्ट कार्ड नहीं आने के कारण देरी हो रही है। -अरविन्द सिंह राठौड, जिला परिवहन अधिकारी।