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उदयपुर | उदयपुर एनआरआई मामले में एसीबी में केस दर्ज होने और निलंबन पर जोधपुर हाईकोर्ट से लगी रोक के बीच डिप्टी एसपी जितेंद्र आंचलिया को भी एसीबी से राहत मिल गई है. फरवरी 2023 में एनआरआई नीरज पूर्बिया द्वारा दर्ज कराए गए मामले के साथ पांच अन्य शिकायतकर्ता रामकृष्ण, कालूलाल खटीक, कयूम अली बोहरा, हेमलता कांकरिया और गिरीश मेहता ने भी एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी. इन पांचों ने अदालत में आंचलिया के खिलाफ बयान दिये थे. जब उनकी शिकायतों की एसीबी मुख्यालय ने जांच की तो सभी झूठी साबित हुईं. ऐसे में एसीबी ने अब इन शिकायतों को बंद कर दिया है.
जांच में यह भी सामने आया कि आंचलिया की पोस्टिंग अवधि के दौरान करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले में रामकृष्ण और गिरीश मेहता को सुखेर पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. वहीं हेमलता कांकरिया के खिलाफ सूरजपोल थाने में कपड़ा व्यवसायी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज होने के साथ ही शहर के कई पुलिस थानों में गैर जमानती धाराओं में मामले लंबित हैं. कुछ दिन पहले जोधपुर पुलिस ने उसे धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तार किया था. उधर, डिप्टी आंचलिया का कहना है कि एनआरआई नीरज पूर्बिया का मामला भी झूठा है। एसीबी के जांच अधिकारी से मिलकर मेरे समेत कई लोगों को झूठा फंसाया गया. एसीबी प्रमुख से दूसरे अधिकारी से दोबारा जांच कराने की मांग करेंगे।
एनआरआई नीरज पुरबिया के छोटे भाई की पत्नी लवलीना पुरबिया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपने जीजा के आतंक से मुक्ति दिलाने की मांग करते हुए मामले की किसी अन्य अधिकारी से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है. लवलीना ने पत्र में लिखा है कि उनके जीजा खुद को एनआरआई बताकर कभी उन पर करोड़ों की जमीन हड़पने का आरोप लगा रहे हैं तो कभी अपनी ही जमीन खरीदने के लिए मजबूर करने का आरोप लगा रहे हैं. लवलीना ने कहा कि सच तो यह है कि उनके पति नीलेश भी एनआरआई थे। उन्होंने विदेश में पेगासस कंपनी का कारोबार स्थापित किया. 2019 में पति की कैंसर से मौत के बाद जीजा ने सारा बिजनेस हड़प लिया और घर से भी निकाल दिया। इसके बाद रजिस्टर्ड गिफ्ट में दिया गया प्लॉट पति ने बेचने नहीं दिया और दबाव में आकर कम कीमत पर खुद ही खरीद लिया। हालांकि मामले की हकीकत से पर्दा पुलिस जांच के बाद हटेगा.
डिप्टी आंचलिया का कहना है कि एसीबी में दर्ज सभी पांच शिकायतों की तरह एनआरआई नीरज पूर्बिया का मामला भी झूठा है. पहले तो उसने अपनी विधवा भाभी के प्लॉट पर कब्जा करने की कोशिश की, फिर उस पर दबाव बनाकर कम कीमत पर प्लॉट खरीद लिया। कैंसर से मरे अपने सगे भाई की संपत्ति हड़पने के लिए एसीबी के जांच अधिकारी समेत मेरे समेत कई लोगों को झूठा फंसाया गया. इस पूरे मामले में मैंने न तो किसी से कुछ लिया है और न ही मांगा है. एसीबी की रिकार्डिंग में भी यह बात जाहिर हो रही है। ऐसे में मैं अपना नार्को टेस्ट कराने को भी तैयार हूं.' इसके लिए मैं एसीबी प्रमुख से मिलूंगा और उनसे पूरे मामले की दोबारा किसी अन्य अधिकारी से जांच कराने का अनुरोध भी करूंगा.
शिकायतकर्ता एनआरआई ने आरोप लगाया था कि वह 18 फरवरी को पुलिस स्टेशन पहुंचे, उसी दिन उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई और उसी दिन रमेश जैन (राठौड़) ने अपने भाई की पत्नी के साथ जमीन खरीदने का समझौता किया। पुलिस थाने के उपनिरीक्षक रोशनलाल और वृत्ताधिकारी जितेंद्र आंचलिया ने गिरफ्तारी की धमकी देकर शिकायतकर्ता पर जमीन के सभी दस्तावेज शिकायतकर्ता के भाई की पत्नी, अंकित मेवाड़ा, रमेश जैन (राठौड़) और मनोज श्रीमाली से वापस खरीदने का दबाव डाला। तब जबरन 1 करोड़ 83 लाख 50 हजार रुपये में सौदा कराने जैसे आरोप लगे थे. इसके बाद रोशनलाल परिवादी के खिलाफ दर्ज झूठे मामले में एफआर लगाने की एवज में अलग से 2 लाख रुपए की रिश्वत मांग रहा था।
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Harrison
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