राजस्थान

10 साल की मासूम से उसके पिता द्वारा रेप करने का मामला

Shantanu Roy
28 July 2023 11:23 AM GMT
10 साल की मासूम से उसके पिता द्वारा रेप करने का मामला
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पाली। पाली में 10 साल की बच्ची से उसके पिता द्वारा दुष्कर्म करने का मामला सामने आया है. पुलिस ने आरोपी को जौनपुर से गिरफ्तार कर लिया है. जिससे पूछताछ जारी है. आरोपी पिता को ये गंदी हरकत करते उसके 8 साल के बेटे ने देख लिया. इसलिए वह फरार था. दरअसल घटना पाली शहर के औद्योगिक नगर थाने की है. घटना के संबंध में पीड़िता की मां ने औद्योगिक थाने में रिपोर्ट दी. जिसमें बताया कि वह अपने पति और 10 साल की बेटी और 8 साल के बेटे के साथ किराए के मकान में रहती है। पति-पत्नी दोनों नौकरी करते हैं. 21 जुलाई को उसके पति ने यह कहकर छुट्टी ले ली कि वह बीमार है। शाम को जब वह घर लौटी तो बेटी डरी और सशंकित थी। प्यार से पूछा तो रोने लगी. प्राइवेट पार्ट पर भी चोट के निशान थे. इसी बीच 8 साल के बेटे ने मां को बताया कि कैसे पिता उसकी बहन के साथ दरिंदगी करता है. घटना के बाद आरोपी पति फरार हो गया था।
23 जुलाई की शाम को महिला औद्योगिक नगर थाने पहुंची और पूरी घटना बताई. तत्काल टीमें गठित कर आरोपियों की तलाश में भेजी गईं। जिन्होंने पीछा कर आरोपी को जोनपुर से पकड़ लिया। मामले की जांच महिला अत्याचार एवं अनुसंधान सेल के डीएसपी सुभाष कर रहे हैं। तीन दिन पहले पाली के सिरियारी थाना क्षेत्र में नाबालिग से दुष्कर्म कर उसे गर्भवती करने के मामले में पॉक्सो कोर्ट संख्या 1 के न्यायाधीश ने आरोपी मोहनसिंह रावणा राजपूत को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. सजा सुनाई गई। गुड़ा एंदला में दो साल पहले 12 साल की बच्ची से दुष्कर्म और गर्भपात के मामले में हाल ही में कोर्ट ने 8 आरोपियों को सजा सुनाई है। नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले में राजस्थान प्रदेश में 5वें स्थान पर है। भास्कर ने एनसीआरबी के आंकड़ों पर नजर डाली तो 2022 में राजस्थान में दुष्कर्म के 6367 मामले सामने आए। इनमें से 1452 मामले नाबालिग लड़कियों से रेप के हैं. नाबालिग से रेप के मामले में राजस्थान देश में 5वें नंबर पर है. राज्य में 2022 तक दर्ज महिलाओं पर अत्याचार के गंभीर मामलों में एक भी गिरफ्तारी बाकी नहीं है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई के कारण राजस्थान में आरोपियों को सजा का प्रतिशत देश में सबसे ज्यादा है। पिछले चार वर्षों में 13 मामलों में मृत्युदंड, 643 मामलों में आजीवन कारावास तथा 937 मामलों में अन्य सज़ाएँ दी गईं।
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