राजस्थान

खुद के लिए नहीं सुन सकते, उन शब्दों को दूसरों को ना बोलें: पायलट

Admin Delhi 1
21 Jan 2023 2:00 PM GMT
खुद के लिए नहीं सुन सकते, उन शब्दों को दूसरों को ना बोलें: पायलट
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जयपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बड़ा कोरोना बयान के बाद पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी महाराजा कॉलेज छात्रसंघ कार्यालय उद्घाटन कार्यक्रम में बिना नाम लिए पलटवार किया। पायलट ने कहा कि लोगों को इज्जत दोगे तो इज्जत मिलेगी। मेरे पारिवारिक संस्कार ऐसे हैं कि जो शब्द अपने लिए सुन नहीं सकते, उन्हें दूसरों के लिए नहीं बोलना चाहिए। आने वाला जमाना नौजवानों के साथ है और नौजवानों को जल्दी न्याय दिलाने की मेरी कोशिश रहेगी। विद्यार्थियों और नौजवानों के भविष्य को बेहतर बनाने में जो योगदान देगा, उसका समर्थन करूंगा।

युवाओं को संबोधित करते हुए पायलट ने कहा कि पिछले पांच दिन में मैंने किसान, नौजवान और विद्यार्थियों के मुद्दों पर भाषण दिया। उसमें किसी के ऊपर व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाए। व्यक्तिगत आलोचना, गाली गलौच करना और कड़वे शब्द बोलना आसान काम है, लेकिन मैंने कभी भी अपने विरोधियों के लिए उन शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया, जो शब्द मैं अपने लिए नहीं सुनना चाहता। राजनीति में जो मेरे सामने चुनाव लड़ते हैं, जो मेरा विरोध करते हैं, मैंने हमेशा उनका भी सम्मान किया है। मैंने उनकी प्रशासनिक कार्रवाईयों, नीतियों, भ्रष्टाचार और काम करने के तरीकों को भी उजागर किया है। मेरे पारिवारिक संस्कार ऐसे हैं कि कभी किसी के लिए ऐसे शब्द नहीं बोलता, जिन्हें खुद के लिए सुनना पंसद नहीं है।

विद्यार्थियों से पूछा कि मेरे बारे में क्या बोला?

पायलट ने छात्र संवाद के दौरान कहा कि जनभावनाओं पर आप पटखनी दो तो लोग ताली बजाते हैं। पायलट ने विद्यार्थियों से कहा कि आप सब जानते हो कि मेरे बारे में क्या-क्या बोला गया तो युवाओं की आवाज आई बड़ा कोरोना। पायलट ने कहा कि जो पहले बोला वो बताओ तो विद्यार्थी बोले- नाकारा, निकम्मा, गद्दार। मेरी रगड़ाई में कोई दिखी क्या तो छात्र बोले नहीं। पायलट बोले कि मैं कोई प्रोफेसर या मास्टर नहीं हूं। आपसे बड़ा हूं, इसलिए सही बात बोलने, संस्कारों को जगाने का दायित्व बनता है। अपने व्यक्तित्व, आचरण, बोली, विचार और चरित्र में ऐसी चीजें लेकर आओ कि आगामी पीढी आप पर गर्व कर सके।

मुंह से निकली बात वापस नहीं आती

इन 32 सलाखों (32 दांतों) के पीछे जो बिना हड्डी की जीभ है, उसको संतुलित करना बहुत जरूरी है। मुंह से निकली हुई बात कभी वापस नहीं आती। मैंने राजनीति में मेरे पिता से बहुत कुछ देखा और सीखा है और राजनीति अखाडे में बड़े बड़ों को पटखनी देते हुए देखा है। छात्रों से कहा कि लोग रगड़ाई का बात करते हैं,लेकिन तुम क्यों ठोकर खाकर उठो भाई, हम बता देंगे आपको कि कहां से रास्ता है, जहां से निकलना है। अगली पीढ़ी को संभालने, संजोने और सहायता-समर्थन देने का भाव होना चाहिए। सियासी गरमाहट पर कटाक्ष कर मुस्कराते हुए कहा कि अभी गर्मी ज्यादा है। तीन-चार दिन पहले ठंड थी, आज गर्मी ज्यादा हो गई है।

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