सोशल मीडिया पर नौकरशाह हिंदू धर्म और जातियों को लेकर कर रहे हैं टिप्पणी
जयपुर: प्रदेश के अफसरों की सोशल मीडिया पर स्वच्छंदता सामाजिक सद्भावना को बिगाड़ रही है। ये अफसर सोशल मीडिया पर एक के बाद एक हिन्दू धर्म और उसकी मान्यताओं के साथ जातियों को लेकर भी सोशल मीडिया पर टिप्पणी कर रहे हैं। बाद में कार्रवाई के डर से यही अधिकारी अपनी टिप्पणी को हटाकर माफी मांगते भी नजर आ रहे हैं।
अधिकारियों के आचरण से सामाजिक समरसता बिगड़ने का अंदेशा: अधिकारियों के इस आचरण से एक और जहां कार्मिकों को लेकर बनाए गए सरकारी नियमों की अवहेलना हो रही है। वहीं सामाजिक समरसता बिगड़ने का भी अंदेशा है। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि इन सभी मामलों के सामने आने के बावजूद भी सरकार की तरफ से इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए किसी तरह का कदम नहीं उठाया जा रहा है।
संगठन कर रहे हैं कार्रवाई की मांग: विप्र महासभा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील उदेईया, परशुराम सेना के अध्यक्ष अनिल चतुर्वेदी व अंतरराष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ के अध्यक्ष पंकज जोशी ने संयुक्त एफआईआर देकर पुलिस से ऐेसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। वे मुख्य सचिव और कार्मिक सचिव को ऐसे सभी अधिकारियों की सूची सौंप अनुशासनात्मक कार्रवाई और लोक सेवक आचार संहिता की पालना के निर्देश जारी करने की मांग रखेंगे।
कब-कब सामने आए मामले: 8 सितंबर को आरएएस अफसर और इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के जॉइंट सेक्रेटरी केसरलाल मीणा ने वॉट्सएप पर देवताओ को रेपिस्ट कहा। हनुमान को बंदर बताया। विवाद हुआ तो कह दिया कि गलती से फॉरवर्ड हो गया। 14 सितंबर को आरएएस अफसर और एग्रीकल्चर मार्केटिंग राज्य मंत्री मुरारी लाल मीणा के स्पेशल असिस्टेंट लक्ष्मीकांत बालोत ने फेसबुक पर पोस्ट कर पूछा कि अहिल्या का रेप किसने किया, रेपिस्ट कौन था? 16 सितंबर को पुलिस सीआईडी ब्रांच के उप अधीक्षक हरिचरण मीणा द्वारा फेसबुक पर एक पोस्ट डालकर रामायण और महाभारत को मिथ्या बताया और जयपुर बसाने वाले महाराजा सवाई जय सिंह को बाबर का नौकर लिखा। सहायक कृषि अधिकारी पिटूं मीणा ने ब्राह्मण समाज को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी लिखी।
तीन साल तक की कैद का प्रावधान: मामले में कानून विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह किसी दूसरे धर्म या जाति पर टिप्पणी करने के मामले में आईपीसी सेक्शन 153-ए और धारा- 295 के तहत गैर जमानती वारंट से गिरफ्तारी हो सकती है। इस तरह के अपराध में तीन साल तक की कैद का प्रावधान है।