नैनवां में उप जिला अस्पताल भवन निर्माण की बजट स्वीकृति जयपुर में अटकी
नैनवां: बून्दी जिले के नैनवां को पिछले बजट में एनएच 148 डी नैनवां बाइपास पर 40 करोड़ की लागत से 30 बीघा भूमि पर उपजिला चिकित्सालय और ट्रोमा सेंटर की सौगात मिली थी। लेकिन जयपुर से अस्पताल भवन निर्माण के लिए बजट की स्वीकृति अटकी हुई है। नैनवां चिकित्सालय में वर्तमान में सोनाग्राफी की सुविधा नहीं है। आॅपरेशन थियेटर बंद है। डिजिटल एक्सरे की सुविधा नहीं है। चिकित्सालय में पानी की सुविधा नहीं है। ऐसे में संसाधानों के अभाव के चलते मरीजों को बून्दी,टोंक या कोटा लेकर जाते है। गौरतलब है कि राजस्व विभाग ने सीमाज्ञान करके नैनवां बाइपास बरड़ा के बालाजी के पास 30 बीघा भूमि को नैनवां चिकित्सा प्रभारी के हेण्डओवर कर दिया है। चिकित्सा विभाग ने 30 बीघा भूमि की साफ सफाई करवाकर चारों ओर खाई फेसिंग करवा दी है। लेकिन भवन निर्माण की स्वीकृति जयपुर में ही अटकी पड़ी हुई है। वर्तमान में नैनवां सीएचसी का नामकरण जिला उपचिकित्सालय दर्ज हो गया है।
डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ के पद खाली
बीसीएमओ डॉ एल.पी नागर ने बताया कि उपजिला चिकित्सालय के लिए चिकित्सकों और नर्सिग स्टॉफ के पद सृजित किए जा चुके है। जिसको भरा जाना शेष है। बजट स्वीकृति आने के बाद उपजिला चिकित्सालय और ट्रोमा सेंटर का निर्माण शुरू हो जाएगा। अभी उपजिला चिकित्सालय नैनवां सीएचसी में मर्ज है। भवन बनने और संसाधन आने के बाद हाइवे के बाइपास पर उपजिला चिकित्सालय शिफ्ट हो जायेगा। वहीं उपजिला चिकित्सालय प्रभारी डॉ समुंदर लाल मीणा ने बताया कि नैनवां सीएसची में पहले 9 चिकित्सकों के पद सृजित थे। जब से नैनवां सीएचसी में उपजिला चिकित्सालय संचालित होने पर चिकित्सा विभाग की ओर से चिकित्सकों की 24 पद सृजित हो चुके है। जो अभी भरे जाने शेष है। इसी प्रकार उपजिला चिकित्सालय में 27 कम्पाउण्डर के पद भी सृजित हो चुके है। लेकिन पद खाली पड़े है।
संसाधन के अभाव में ग्रामीण बूंदी, कोटा, टोंक जाने को मजबूर
नैनवां चिकित्सालय को भले ही उपजिला चिकित्सालय का दर्जा मिल गया है,लेकिन सुविधाए नहीं मिलने से क्षेत्र के लोग परेशान है। संसाधानों के अभाव के चलते मरीजों को बून्दी,टोंक या कोटा लेकर जाते है। कस्बे के प्रबुद्धजनों में भाजपा जिला प्रतिनिधि महेन्द्र कुमार बरमुण्डा ने बताया कि नैनवां सीएचसी अब उपजिला चिकित्सालय हो गया है। लेकिन अभी तक भी उपजिला चिकित्सालय में सोनाग्राफी की सुविधा नहीं है। आॅपरेशन थियेटर बंद है। डिजिटल एक्सरे की सुविधा नहीं है। चिकित्सालय में पानी की सुविधा नहीं है।
उपजिला चिकित्सालय और ट्रोमा सेंटर के लिए 30 बीघा भूमि आवंटित हुई थी। सीमाज्ञान के बाद चिकित्सा विभाग के ओर से खाई फेंसिंग करवा दी है। लोग खाली भूमि होने से अतिक्रमण करने लग गये थे। भवन निर्माण के लिए फाइनेंस स्वीकृति जयपुर में अटकी पड़ी है। उन्होंने स्वीकृति जारी किया जाने के लिए पत्र भी लिखा जा चुका है।
-डॉ.एल.पी नागर, बीसीएमओ नैनवां