राजस्थान

सोनिया से मिलने के बाद बिगड़ी बॉडी लैंग्वेज

Gulabi Jagat
29 Sep 2022 10:40 AM GMT
सोनिया से मिलने के बाद बिगड़ी बॉडी लैंग्वेज
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Source: aapkarajasthan.com

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे कि नहीं? इस सवाल का जवाब मिल गया है। खुद गहलोत ने ही ऐलान कर दिया है कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में गहलोत ने कहा कि पिछले दिनों राजस्थान में जो कुछ हुआ, उसके बाद उन्होंने फैसला किया कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके साथ ही कयासबाजियों का दौर खत्म हो गया और यह लगभग तय हो गया है कि गांधी परिवार ने गहलोत की जगह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को चुन लिया है। उन्होंने दिल्ली पहुंचकर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अशोक गहलोत से राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी भी छिन जाएगी? जब गहलोत से इसी तरह का सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह आलाकमान तय करेगी।
सचिन पायलट की लॉटरी लगेगी?
दिल्ली में गहलोत जब मीडिया से मुखातिब हुए तब उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जयपुर में जो हुआ उसके लिए वो शर्मिंदा हैं और इसके लिए उन्होंने सोनिया गांधी से माफी भी मांगी है। लेकिन क्या सोनिया ने उन्हें माफ कर दिया है? इससे भी बड़ा सवाल है कि क्या अशोक गहलोत ही राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहेंगे या जिस तरह उनसे अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी छीनी गई, उसी तरह तरह कुर्सी भी चली जाएगी? गहलोत कम-से-कम इसके लिए आश्वस्त तो नहीं गहलोत के बयान से कयास लगाया जा रहा है कि शायद उन्हें तैयार रहने को संकेत मिले हैं। लेकिन एक तथ्य यह भी है कि चूंकि अब अशोक गहलोत अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे तो 'एक व्यक्ति, एक पद' का कोई मुद्दा ही नहीं बचेगा। हालांकि, रविवार शाम को कांग्रेस विधायक दल (CLP) की मीटिंग राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री के चयन को लेकर ही होनी थी। इसलिए इतना तो कहा जा सकता है कि शीर्ष नेतृत्व ने राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने का मन बना लिया था। तो क्या सचिन पायलट की लॉटरी लगने के चांस अब भी बचे हैं? इस सवाल का जवाब ढूंढना आसान नहीं है।
हर तरफ कांग्रेस का ही नुकसान
दरअसल, कांग्रेस आलाकमान के लिए यह फैसला करना आसान नहीं है। एक तरफ अशोक गहलोत 90 से ज्यादा विधायकों के साथ दमखम दिखा चुके हैं तो दूसीर तरफ सचिन पायलट लंबे समय से 'न्याय' का इंतजार कर रहे हैं। आलाकमान अगर राजस्थान का भविष्य देखती है तो उसे वर्तमान में भारी जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। गहलोत ने विधायकों का बड़ा खेमा अपने साथ समेटकर रखा है, इसलिए गांधी परिवार को पता है कि राजस्थान में पार्टी टूट भी सकती है। हालांकि, एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं कि जिस दिन गहलोत के सिर से गांधी परिवार का हाथ उठ जाएगा, समर्थक विधायकों का बड़ा गुट पाला बदल लेगा और फिर गहलोत 10-20 विधायकों तक सीमित रह जाएंगे।
सीएलपी की मीटिंग बनी बवाल
ध्यान रहे कि रविवार शाम को राजस्थान कांग्रेस विधायक दल (CLP) की मीटिंग बुलाई गई थी। उस मीटिंग में विधायकों से राय ली जानी थी कि अशोक गहलोत जब कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर दिल्ली चले जाएंगे तब राजस्थान की सत्ता किसके हाथों सौंपी जाएगी। इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व ने राज्यसभा सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ-साथ राजस्थान के प्रभारी महासचिव अजय माकन को जयपुर भेजा था। गहलोत के कहने के मुताबिक मुख्यमंत्री आवास में उनकी सभी विधायकों के साथ पहले वन टु वन और फिर सामूहिक बैठक होनी थी। लेकिन गहलोत खेमे के विधायकों ने अप्रत्याशित रूप से बगावत कर डाली।
सोनिया से मिलने के बाद बिगड़ी बॉडी लैंग्वेज
सबको हैरान करते हुए गहलोत खेमे के 90 से ज्यादा विधायकों ने रातोंरात विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना-अपना इस्तीफा सौंप दिया। विधायकों के इस रवैये से राजस्थान कांग्रेस में सिरफुट्टवल सबके सामने आ गया जिससे पार्टी की भारी फजीहत हुई। तभी से माना जाने लगा कि अब गांधी परिवार अशोक गहलोत की जगह किसी दूसरे चेहरे की तलाश करेगी जिसे पार्टी अध्यक्ष बनाया जा सके। चूंकि अशोक गहलोत का विधायकों के रवैये पर कोई बयान नहीं आया था और ना ही उन्होंने सीएलपी मीटिंग के लिए किसी की आलोचना की थी, इसलिए माना जा रहा था कि केंद्रीय नेतृत्व इसके लिए अशोक गहलोत को दोषी नहीं माने और अध्यक्ष पद की उनकी उम्मीदवारी बरकरार रखे। लेकिन अशोक गहलोत आज जब सोनिया गांधी से मिलकर बाहर निकले तो उनका चेहरा और बॉडी लैंग्वेज ने बहुत कुछ इशारा कर दिया।
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