अलवर: अलवर नगर परिषद के कांग्रेस और बीजेपी के पार्षद सोमवार को परिषद कार्यालय में धरने पर बैठे। अंतर इतना था कि कांग्रेसी पार्षद तो बीजेपी के सभापति के चैंबर के बाहर बैठे तो वहीं बीजेपी के पार्षद नगर परिषद आयुक्त के चैंबर के बाहर। लेकिन दोनों का मकसद एक है कि जनता के काम नहीं हो रहे। पार्षदों की सुनी नहीं जा रही। नई रोड लाइट के टैंडर नहीं हो रहे। सफाई के टैंडर की राशि मनमर्जी से बढ़ा दी। बंदर व कुत्तों का आतंक है। जन समस्याओं का समाधान नहीं होने पर विरोध जताया गया।
पार्षद सतीश यादव ने कहा कि दो माह से रोड लाइट की सुध नहीं है। सफाई के ठेके को तीन गुना अधिक दामों में देने की तैयारी है। एक तरह से भ्रष्टाचार को बढ़ाने की पूरी योजना हो गई है। सफाई के काम की मॉनिटरिंग की नहीं गई और सफाई का बजट बढ़ाने में लगे हैं। एक तरह से जनता की कमाई का पैसा भ्रष्टाचार में सुपुर्द होने की तैयारी है। रोड लाइट का टेंडर तक नहीं किया गया। शहर में बंदर व कुत्तों का आतंक है। जनता तो पार्षदों से जवाब मांगती है। लेकिन नगर परिषद के अधिकारी सुस्त हैं। उनको जनता के कामों से सरोकार नहीं है।
कांग्रेस के पार्षद प्रीतम सिंह मेहंदीरत्ता ने कहा कि जनता त्रस्त है और सभापति मस्त हैं। सभापति को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। जनता को पट्टे नहीं मिल रहे और सरकारी जमीनों पर अवैध पट्टे दिए जा रहे हैं। सफाई का मूल काम इनसे नहीं हो पा रहा। जमकर धांधली मची है। नई रोड लाइट का टेंडर जानबूझकर अटकाए हैं। मरम्मत का काम नहीं हो रहा। सफाई के टेंडर नहीं हो रहे और बजट बढ़ाने में लगे हैं। ताकि उनके खाते में पैसा आते रहे। पार्षदों से पूछा तक नहीं जाता है। इसी कारण सब पार्षद चेयरमैन के खिलाफ विरोध में उतरे हैं।