राजस्थान

बीसलपुर, फिर भी पिछड़ा जिला, टोंक में छिपा है ईको टूरिज्म का खजाना

mukeshwari
19 July 2023 6:01 PM GMT
बीसलपुर, फिर भी पिछड़ा जिला, टोंक में छिपा है ईको टूरिज्म का खजाना
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टोंक में छिपा है ईको टूरिज्म का खजाना
टोंक। टोंक जानकारों की मानें तो ईकोटूरिज्म प्रकृति और पर्यावरण की देखभाल एवं उसके संरक्षण करने से है। इको टूरिज्म का पसंद करने वाले पर्यटक को प्राकृतिक क्षेत्रों एवं प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर क्षेत्रों का भ्रमण करते हैं। टोंक जिले में इसकी आवश्यकता है। टोंक. टूरिज्म से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है, साथ ही राजस्व में भी वृद्धि होती है, लेकिन प्रदेश का टोंक जिला ऐसा है, जहां ईको टूरिज्म की प्रचुर संभावनाए होते हुए भी पिछड़ रहा है। बीसलपुर बांध एवं उसके आसपास वन क्षेत्र में कई ऐसी जगह हैं, जहां पर पर्यटक जाना पसंद कर रहे हैं, जहां ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सकता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को और अधिक लुभा सकती है। वन एवं पर्यटन विभाग दोनों इस कार्य में जुटे हैं, लेकिन ये काम बहुत धीमी गति से चल रहा है।
क्या है ईको टूरिज्म
ईको टूरिज्म से अर्थ है प्राकृतिक सौंदर्य का के करीब जाना और उसका आनंद लेना। ईको टूरिज्म का पसंद करने वाले पर्यटक को प्राकृतिक क्षेत्रों एवं प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर क्षेत्रों का भ्रमण करते हैं। ऐसी जगहों पर प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण के सभी उपाय किए जाते हैं। सवाईमाधोपुर के रणथम्भौर की तरह बीसलपुर इसका जीता जागता उदाहरण है। पर्यटन विभाग भी कर रहा प्रयास बीसलपुर बांध के करीब दो पहाड़ियों को जोड़कर एडवेंचर (साहसिक) गतिविधियों को विकसित करने के लिए एक करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। जिससे बीसलपुर बांध के करीब पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। उक्त राशि से बीसलपुर बांध के निकट जीप लाइन प्रोजेक्ट बनाया जाना प्रस्तावित है। बांध के जलभराव निकट बने मिनी गोवा में खजूर व अन्य प्रजातियों के पौधे लगाकर विकसित करने के साथ ही पर्यटकों के बैठने की व्यवस्था करने सहित कई कार्य कराए जाएंगे।
27 कंजर्वेशन रिजर्व में से एक है बीसलपुर
राजस्थान के 27 कंजर्वेशन रिजर्व (संरक्षित क्षेत्र) हैं, इनमें से बीसलपुर भी एक है। बीसलपुर कंजर्वेशन रिजर्व योजना के तहत देवली रेंज में राजमहल, वन खण्ड माता जी रावता, ककोडिय़ा, आरक्षित वन क्षेत्र पातलियां की डूंगरी सहित लगभग 1163.64 हैक्टेयर वन क्षेत्र शामिल है। बस्सी, रामपुरा, बोटून्दा, डूब क्षेत्र बीसलपुर, थड़ोली के करीब आदि वन क्षेत्र का 3667.13 हैक्टेयर वन क्षेत्र शामिल है। लगभग 2008 में बीसलपुर वन क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए आरक्षित व रक्षित वन क्षेत्र घोषित दिया।
पैंथर सफारी व बर्ड वॉचिंग अच्छे विकल्प
बीसलपुर वन क्षेत्र में कंजर्वेशन रिजर्व योजना के तहत वन सम्पदा को सुरक्षित रखने, पर्यटन को बढ़ावा देने व वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर वन क्षेत्र में चार दिवारी निर्माण, एनिकट, बर्ड वॉच टॉवर निर्माण, कच्ची सडक़े, नेचर पार्क, जैव विविधता संरक्षण, रोप-वे लगाने पर फोकस करना जरूरी है। वहीं वन विभाग की चौकियां स्थापित करने से इस क्षेत्र में संरक्षण बढ़ाया जा सकता है। बीसलपुर के जंगलों में अन्य जगहों से पैंथरों का पुनर्वास किया जा सकता है। ये काम किएजा रहे बीसलपुर में वन विभाग की ओर से करीब एक करोड़ खर्च करके लवकुश वाटिका का लगभग पूरा निर्माण किया जा चुका है। बीसलपुर बांध के जलभराव किनारे रंगीन मछली प्रदर्शनी केंद्र के निकट सरकार की ओर से प्रस्तावित लव कुश वाटिका पर इन दिनों विकास कार्य चालू है। वन विभाग की ओर से लवकुश वाटिका में साफ-सफाई के साथ ही पर्यटकों के मनोरंजन व लोगों को आकर्षित करने के लिए झूले, बच्चों के गेम्स, रैम्प आदि कार्य शुरू किए हैं।
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प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।

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