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अलवर। मेवात इलाके में साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसा कोई भी दिन नहीं है, जब कोई न कोई ठगी का शिकार नहीं होता। आए दिन खबरें मिलती है की आज यहां ठगी हुई, आज वहां ठगी की। ऐसी खबर मिलने के बाद भी आम आदमी सजग नहीं होता और थोड़े से लालच में साइबर ठगी का शिकार बन जाता है। इसमें पुलिस से ज्यादा आम नागरिक की महत्वपूर्ण जागरूकता होनी चाहिए। अलवर में जब से साइबर ठगी का थाना खुला है, तब से अब तक 250 शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं।
लगभग 25 लाख रुपए की राशि बैंकिंग चैनल के जरिए से ग्राहकों को वापस दिलवाई जा चुकी है। यह राशि साइबर अपराधियों ने अपने अपने तरीके से ठगने का प्रयास किया था। आज इस संबंध में अलवर पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा ने बताया कि अलवर जिले में जो साइबर अपराध घटित हो रहे हैं यह 2 केटेगिरी के अपराध हैं। एक तो आम पब्लिक के साथ ही अपराध हो रहे हैं और दूसरा यह है कि कई साइबर गांव हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए हैं।
देश में साइबर अपराधों को लगातार खत्म करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में राजस्थान के डीजीपी द्वारा ऑपरेशन ब्रिज प्रहार चलाया गया जिसमें वह गांव टारगेट किए गए जहां यह सबसे ज्यादा ठगी होती है। जहां जहां इस तरीके के गांव हैं उनको चिन्हित किया गया। अलवर पुलिस द्वारा मोबाइल की 30 हजार सिम ब्लॉक की गई। यह सिम संदिग्ध रूप से थी, जो दूसरे राज्य के नाम से थी। पुलिस को शक था कि इन सिम के माध्यम से साइबर अपराधी अपराध कर रहे हैं। देश के कई राज्यों की पुलिस अलवर आती है और उन्हें समय-समय पर सहयोग किया जाता है। मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हुई थी, जिसमें राजस्थान, हरियाणा, यूपी, पश्चिम बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों से चर्चा हुई। जिसमें साइबर ठगी को रोकने के प्रयास किए और आगे की रणनीति पर चर्चा की गई।
भारत सरकार ने भी साइबर की रोकने के लिए बनाई हुई है यह टीम समय-समय पर सभी प्रभावित जिलों के अधिकारियों से बात करती है और आगे की रणनीति तय करती करती है। इसके अलावा साइबर क्राइम थाना खोला गया है। जिसमें साइबर फ्रॉड के 250 से अधिक शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। इसके अलावा साइबर क्राइम रिस्पांस के माध्यम से शिकायतें दर्ज की जाती हैं और तुरंत उस पर एक्शन लिया जाता है। अब तक इस तरह साइबर क्राइम के फ्रॉड से ग्राहकों के 25 लाख रुपए बैंकिंग चैनल के माध्यम से वापस दिलवाए गए हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम मुख्य रूप से तभी रोका जा सकता है, तब जनता जागरूक हो।
इस संबंध में जिन गांव में प्राइवेट बैंकों के एटीएम लगे हुए हैं, यह बंद कराए गए हैं। क्योंकि पुलिस को शुरू से ही संदेह था कि गांव-गांव में लगे प्राइवेट बैंकों के एटीएम में लेनदेन सिर्फ साइबर फ्रॉड के पैसे निकालने में किए जाते हैं। इस संबंध में डीजीपी ने भी बैंक अधिकारियों की बैठक ली थी। जिसमें यह बताया गया कि जो भी ऐसे सस्पेक्टेड एटीएम है, उन्हें बंद किया जाए तो बैंक अधिकारियों ने भी इस संबंध में विश्वास दिलाया है। गृहमंत्री की रिपोर्ट के आधार पर भी ऐसे एटीएम पर कार्रवाई की जा रही है। भारत सरकार इसमें मॉनिटरिंग कर रही है और उन्होंने विश्वास दिलाया कि साइबर क्राइम को नियंत्रण करने में सफल होंगे।
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