कटारिया के कार्यकाल में बीजेपी में तैयार नहीं बड़े चेहरे, अब टिकट के लिए खिंच सकती है तलवार
उदयपुर न्यूज: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे गुलाबचंद कटारिया के असम के राज्यपाल बनने के बाद से उदयपुर भाजपा की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है. कभी कटारिया का करीबी माने जाने वाला शहर भाजपा का हर पुराना नेता अब विधायक की दावेदारी के लिए अपने आप में ही धड़क रहा है. ये चेहरे अब भी खुले बयानों से परहेज कर रहे हैं, लेकिन जोड़तोड़ शुरू हो चुकी है।
मौजूदा हालात भविष्य में भाजपा में अपनों के बीच तलवारें खिंचने की तस्वीर बता रहे हैं। शहर की राजनीति की सबसे खास बात यह है कि कटारिया के रहते कोई बड़ा नेता तैयार नहीं था, जो कटारिया की जगह ले सके. एक मौके पर कटारिया ने चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी को अपना उत्तराधिकारी नामित किया था, लेकिन मावली के चुनाव में कटारिया ने ही कई ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे जोशी की छवि खराब हुई. कुल मिलाकर उदयपुर संभाग में बीजेपी के कटारिया जैसा नेता मिलना मुश्किल है. लेकिन, इतना तय है कि बीजेपी के इस गढ़ में कांग्रेस समेत अन्य चुनावी पार्टियां अपनों की लड़ाई का फायदा जरूर उठाएंगी.
कटारिया के करीबी कई चेहरे अब विधायक टिकट के दावेदार हैं
कटारिया के चहेतों की फेहरिस्त लंबी है, लेकिन समय के साथ फीकी पड़ गई है। कुछ ने कटारिया से दूरी बनाकर अपना वजूद बचाने के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का दामन थाम लिया है। प्रमोद समर, ताराचंद जैन, दिनेश भट्ट, तखत सिंह, पारस सिंघवी, डॉ. अल्का मूंदड़ा, डॉ. जिनेंद्र शास्त्री, रवींद्र श्रीमाली, महेंद्रसिंह शेखावत, मांगीलाल जोशी, चंद्रसिंह कोठारी, रजनी डांगी कटारिया के पसंदीदा नामों में थे. वर्तमान में अनिच्छा से उनके साथ होने का नाटक कर रहा है। इस सूची में स्वर्गीय किरण माहेश्वरी का नाम भी शामिल था, लेकिन मरणोपरांत कटारिया से उनका वैचारिक संघर्ष चलता रहा.